Rajasthan Election 2023 : इशारों-इशारों में पक रही है कर्मचारी संगठनों की राजनीतिक खिचड़ी

Rajasthan Election 2023 : जयपुर। प्रदेश में चल रहे चुनावी माहौल में ये दोनों दृश्य इन दिनों काफी देखने में आ रहे हैं। शिक्षकों, मंत्रालयिक कर्मचारियों, चिकित्सकों, नर्सिंग कर्मियों सहित अन्य राजकीय कार्मिकों के संगठनों की मीटिंगों में जमकर चुनावी खिचड़ी पक रही है।

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Rajasthan Election 2023 : जयपुर। प्रदेश में चल रहे चुनावी माहौल में ये दोनों दृश्य इन दिनों काफी देखने में आ रहे हैं। शिक्षकों, मंत्रालयिक कर्मचारियों, चिकित्सकों, नर्सिंग कर्मियों सहित अन्य राजकीय कार्मिकों के संगठनों की मीटिंगों में जमकर चुनावी खिचड़ी पक रही है। प्रदेश, जिला और तहसीलों तक के स्तर पर होने वाली मीटिंगों में पदाधिकारियों व सदस्यों को चुनाव से जुड़े हुए निर्देश व टारगेट दिए जा रहे हैं। अलग-अलग पार्टियांे से समर्थित संगठनों की मीटिंगों में इन दिनों चुनाव से संबंधित रणनीतियां बन रही हैं।

हालांकि, ये संगठन खुले तौर पर किसी पार्टी विशेष का समर्थन नहीं करते लेकिन किसी एक पार्टी की विचारधारा का समर्थन करते हैं। ऐसे में खुलकर किसी एक पार्टी के समर्थन में प्रचार ना करके दबे-छुपे तरीके से अपनी पार्टी के लिए माहौल बनाया जा रहा है। इसके लिए बाकायदा टीमें बनाकर अलगअलग तरीकों से पार्टी के पक्ष में कैम्पेनिंग की जा रही हैं। गौरतलब है कि प्रदेश की सरकार बनाने में सरकारी कर्मचारियों की अहम भूमिका होती है। हर पार्टी इस बात को जानती है और कर्मचारियों को खुश रखने की कोशिश करती है।

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सबको बताओ क्या-क्या हुआ

ऑनलाइन मीटिंग प्लेटफॉर्म जूम पर मीटिंग चल रही है। तीस से अिधक लोग मीटिंग में जुड़े हुए हैं। सभी लोग शिक्षा विभाग के कर्मचारी हैं। जो मैडम मीटिंग को लीड कर रही हैं वे बोलती हैं- जैसा कि आप सब जानते हैं, चुनाव आने वाले हैं। तो चुनाव में एक अच्छी पार्टी सरकार में आए ये हम सभी का दायित्व है। इसलिए आप सभी को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए लोगों को बताना है कि हमारी सरकार ने क्या-क्या काम किए हैं। शिक्षकों के भले के लिए कितनी योजनाएं लाई गई हैं, कर्मचारियों को कै से फायदा पहुंचाया गया है और आम आदमी के जीवन को आसान बनाने के लिए क्या क्या किया गया है।

आप लोगों को आज से ही इस काम में जुट कर लोगों को सरकार के कामों के बारे में बताना है। बीच में मीटिंग के एक प्रतिभागी का प्रश्न आता है- मैडम, इसका मतलब हमें लोगों को X पार्टी को वोट देने के लिए कहना है। नहीं, नहीं, पार्टी का नाम नहीं लेना। बस सबको बताना है कि राजस्थान में पांच साल में क्या क्या काम हुए।

सबको बताओ क्या-क्या नहीं हुआ

एक कर्मचारी संगठन की गूगल मीट पर मीटिंग चल रही है। करीब 40 लोग ऑनलाइन हैं। सभी कर्मचारी हैं और अपने-अपने जिले में संगठन का काम संभालते हैं। प्रदेशाध्यक्ष जी बोल रहे हैं- सभी साथियों से अपेक्षा है कि वे अपने अपने इलाके में लोगों को जागरुक करें कि यह सरकार प्रदेश के लिए क्या-क्या नहीं कर पाई। हमारा प्रदेश किन मामलों में पड़ौसी राज्यों से पिछड़ा हुआ है। आप सभी अपने अपने इलाके में समाज पर पकड़ रखते हैं, ऐसे में आपको लोगों को जागरुक करना है कि केंद्र सरकार पूरे देश के लिए कै से जनकल्याणकारी याेजनाएं लाकर देश का कायापलट कर रही है।

जनता को बताएं की कें द्र सरकार ने कै से लोगों को भला किया है। बीच में किसी जिले के पदाधिकारी ने सवाल किया- जी, मतलब हमें X पार्टी को वोट डालने के लिए लोगों को बोलना है और Y पार्टी की कमियां बतानी हैं। जवाब आया- नहीं, बिल्कुल नहीं हम किसी पार्टी का समर्थन नहीं कर रहे, बस आपको विकास में रही कमियां बतानी हैं और केंद्र की जनकल्याणकारी योजनाओं की चर्चा करनी है।

कोर टीमें कर रही हैं मॉनिटरिंग

चुनावी अभियान के लिए लगभग हर संगठन के शीर्ष नेतृत्व ने कोर टीमें बनाई हैं जो प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में अपनी पार्टी के लिए माहौल बनाने का काम कर रही हैं। लगातार ऑनलाइन व ऑफलाइन मीटिंगों के माध्यम से संगठन के सदस्यों को प्रशिक्षित किया जा रहा है और नए जुड़े सदस्यों को शीशे में उतारा जा रहा है। उच्च स्तरीय मीटिंगें कर लगातार संगठन सदस्यों की ओर से चलाए जा रहे चुनाव अभियान की समीक्षा की जा रही है।

सरकार से जुड़ा है पदाधिकारियों का भविष्य

बड़े कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी अपनी पार्टी की सरकार लाने के लिए रणनीति के साथ काम कर रहे हैं। दरअसल पदाधिकारियों का भविष्य काफी हद तक सरकार पर निर्भर करता है। विरोधी पार्टी की सरकार आने पर पदाधिकारियों के दर-ू दराज में ट्रांसफर, पेंडिंग मामलों में कार्रवाई, अनचाही पोस्टिंग जैसी कार्रवाईयां देखने में आती हैं। अपनी पार्टी की सरकार बनने पर संगठन पदाधिकारियों की बात डिपार्टमेंट में मानी जाती है। इसके चलते हर संगठन अपनी पार्टी की सरकार बनाने के लिए पूरा जोर लगा रहा है।

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खुलकर प्रचार से इसलिए परहेज

हर कर्मचारी संगठन को किसी न किसी पार्टी का समर्थक व उसकी विचारधारा से प्रेरित माना जाता है, इसके बावजूद संगठन कार्यकर्ता खुलकर अपनी पार्टी का प्रचार नहीं करते। इसमें उनकी राजकीय सेवा आड़े आती है। इसके अलावा खुलकर पार्टी विशेष का प्रचार करने पर विरोधी सरकार आने की स्थिति में बदले की कार्रवाई का डर भी रहता है। इसलिए आम कार्यकर्ता अंदरखाने ही अपनी पार्टी का माहौल बना रहे हैं। फील्ड में खुलकर किसी पार्टी का प्रचार करने के साथ ही ऑनलाइन मीटिंग्स में भी पार्टी का नाम लेने से बचा जा रहा है।