‘हम साथ हैं और साथ रहेंगे…’ जयपुर में दिखी एकजुटता की सुखद झलक, कांग्रेस ने दिया बड़ा सियासी संदेश

जयपुर एयरपोर्ट पर राहुल गांधी की अगवानी करने अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक साथ पहुंचे.

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Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान की जनता विधानसभा चुनावों में वोट देने के लिए अब तैयार है जहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों का चुनावी अभियान युद्ध स्तर पर चल रहा है, दोनों ही दलों ने अपने सभी बड़े और छोटे चेहरों को चुनावी चौसर में उतार दिया है. इस बीच गुरुवार सुबह जयपुर से कांग्रेसी खेमे से एक सुखद झलक देखने को मिली जहां कांग्रेस में लंबे समय से चल रही खींचतान की अटकलों को एक झटके में ही विराम लग गया.

दरअसल जयपुर एयरपोर्ट पर राहुल गांधी की अगवानी करने अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक साथ पहुंचे. वहीं गोविंद सिंह डोटासरा भी वहां मौजूद रहे. वहीं इस दौरान राहुल गांधी ने मीडिया से कहा कि हम साथ हैं और साथ रहेंगे. इसके साथ ही राहुल ने राजस्थान में क्लीन स्वीप का भी दावा किया.

मालूम हो कि हाल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक तस्वीर शेयर की थी जहां मुख्यमंत्री गहलोत के साथ सचिन पायलट बैठे हुए दिखाई दे रहे थे और तस्वीर के साथ गहलोत ने कैप्शन लिखा कि- ‘एक साथ, जीत रहे हैं फिर से.’ बता दें कि पिछले 3-4 दिन से सूबे के सियासी गलियारों में कांग्रेस की एकजुटता की चर्चा जोरों पर है.

पोस्टर भी रहा था चर्चा में

इससे पहले दिवाली पर राजधानी जयपुर से एक फोटो वायरल हुई जहां सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक ही पोस्टर में दिखाई दिए. जानकारी के मुताबिक प्रचार कंपनी डिजाइन बॉक्स्ड ने गहलोत और सचिन पायलट के शहर भर में कई जगह पोस्टर्स लगाए जिसमें दोनों नेता एक साथ नजर आ रहे हैं. गहलोत-पायलट के पोस्टर्स में एक साथ आने के बाद से ही सोशल मीडिया पर लगातार दोनों की एकजुटता की चर्चा हो रही है.

कर्नाटक फॉर्मूले से बनेगी बात!

दरअसल, कांग्रेस को बीते दिनों कर्नाटक चुनावों में जीत मिली थी जहां डिजाइन बॉक्स की प्रचार रणनीति और नरेश अरोड़ा की सूझबूझ से वहां के दो ध्रुवों को एक किया गया था. कर्नाटक में डीके शिवकुमार और सिद्धरमैया को एक मंच पर लाकर चुनावों से पहले एकजुटता का संदेश दिया गया जिसका वोटिंग में साफतौर पर असर देखा गया.

वहीं अब माना जा रहा है कि कांग्रेस राजस्थान में भी कुछ इसी तरह का एक्सपेरिंमेट करने जा रही है जहां चुनावी बिसात बिछने के बाद एकजुटता का संदेश देना जरूरी थी. इसके अलावा जानकारों का कहना है कि सचिन पायलट को साइडलाइन किए जाने से पार्टी को डैमेज हो सकता है.