Rajasthan Election 2023: ‘मैं तो आपकी बकरी हूं, जहां चाहो पकड़ लेना’ बोलकर जननेता बन गए थे भार्गव

Rajasthan Election 2023: महाराजा कॉलेज के एक जोशीले विद्यार्थी को अचानक क्या सूझी कि उसने नगर परिषद जयपुर का चुनाव लड़ा और जीत भी गया। धुन के धनी ने चुनाव दर चुनाव लड़ते हुए पहले राजस्थान विधानसभा में अपनी आवाज बुलंद की फिर लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर लोकसभा के द्वार पर दस्तक दी।

Girdhari Lal Bhargava | Sach Bedhadak

Rajasthan Election 2023: महाराजा कॉलेज के एक जोशीले विद्यार्थी को अचानक क्या सूझी कि उसने नगर परिषद जयपुर का चुनाव लड़ा और जीत भी गया। धुन के धनी ने चुनाव दर चुनाव लड़ते हुए पहले राजस्थान विधानसभा में अपनी आवाज बुलंद की फिर लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर लोकसभा के द्वार पर दस्तक दी। आप जानना चाहेंगे, उस युवा का नाम- वह है गिरधारी लाल भार्गव। अटूट समाज सेवा के जीवंत प्रतीक बने गिरधारी ने अपने नाम के अनुरूप सभी की पुकार सुनी तभी तो राजधानी जयपुर में उनके लिए एक नारा बुलंद हुआ जिसका न पूछे कोई हाल- उसके संग गिरधारी लाल।

जन जन के प्रिय इस युवक ने लोकसभा के पहले चुनाव को राजा रंक का स्वरूप देकर तत्कालीन जयपुर राजपरिवार के ले. कर्नल भवानी सिंह को पराजित किया। भार्गव ने नवीं से चौदहवीं लोकसभा तक लगातार चुनावी छक्का लगाने में सफलता हासिल की। नगर परिषद का चुनाव- वर्ष 1956- चौकड़ी पुरानी बस्ती का एक वार्ड- गिरधारी लाल ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पार्षद चुनाव का पर्चा भर दिया।

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तब के दिग्गजों को परास्त कर पहला चुनाव जीत लिया। चुनाव का चस्का ऐसा लगा कि अगले वर्ष 1957 में हवामहल विधानसभा क्षेत्र से खड़े हो गए। पराजय मिली। लेकिन हिम्मत नहीं हारी। वर्ष 1962 में हवामहल क्षेत्र से फिर किस्मत अाजमाई लेकिन भाग्य ने साथ नहीं दिया। इस बीच जब भी नगर परिषद के चुनाव हुएभार्गव पार्षद चुने गए। जानकारों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में भार्गव के प्रचार की तरीका अनोखा था।

वह ढूंढाड़ी भाषा में जनता से संवाद करते और महल में रहने वाले महाराजा से मिलने- जुलने की लम्बी प्रक्रिया से होने वाली परेशानी को सहज भाव से समझाते। और फिर कहते- मैं तो आपकी बकरी हूं, चाहे जहां पकड़ लो। भार्गव की यह बात परम्परावादी ग्रामीण मतदाताओं को जंच गई और भार्गव चुनाव जीत लोकसभा की सीढ़ी चढ़ गए।

तीन चुनाव , तीन चिह्नों पर जीते

वर्ष 1972 के चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अंाधी थी। तब गिरधारी लाल ने बतौर जनसंघ प्रत्याशी हवामहल क्षेत्र से नामांकन पत्र दाखिल किया और शानदार सफलता हासिल की। मानों मतदाताओं ने तीसरा चुनाव लड़‌ने वाले गिरधारी का कर्जा ब्याज समेत चुकाया। जनता लहर में वर्ष 1997 में वह किशनपोल क्षेत्र से 69.47 प्रतिशत वोट लेकर कांग्रेस के श्रीराम गोटेवाला को हराने में सफल हुए। लेकिन 1980 में गोटेवाला ने भार्गव को पराजित कर अपनी पिछली हार का बदला ले लिया। वर्ष 1985 मे इसी क्षेत्र से उन्होंने विधानसभा का अंतिम चुनाव 51.23 प्रतिशत वोट लेकर जीता।

तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत ने अपने पहले शासनकाल में भार्गव को नगर सुधार न्यास जयपुर का अध्यक्ष बनाया। विचित्र बात यह रही कि गिरधारी लाल भार्गव तीन बार विधायक बने लेकिन हर बार उनका चुनाव चिन्ह अलग रहा। पहले जनसंघ का दीपक, फिर जनता पार्टी का हलधर और फिर भाजपा का कमल खिला।

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बीच सड़क स्कूटर रोक किए थे हस्ताक्षर

रामनिवास बाग के सामने एमआई रोड का किस्सा है। मैं साइ‌किल से सांगानेरी गेट की तरफ से पांच बत्ती हिन्दुस्तान समाचार कार्यालय जा रहा था। तभी देखा एक व्यक्ति ने स्कूटर पर जाते भार्गव को देखकर उन्हें रोका। उस व्यक्ति को किसी दस्तावेज पर विधायक के हस्ताक्षर कराने थे। भार्गव ने वहीं हस्ताक्षर किए तथा डि‌ग्गी में से मोहर लगा आगे रवाना हो गए। एक सुबह मैं उनके निवास पर गया- वह धड़ाधड़ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करते जाते। काफी देर बाद गर्दन सीधी करके पर उन्होंने मुझे देखा- यह दृश्य देखते हुए मुझे 15-18 मिनट हो चुके थे। वह अन्य क्षेत्रों के मतदाताओं की भी मदद करते थे। जिंदगी के आखिर तक भार्गव ने समाज सेवा का दायित्व सहज भाव से निभाया।

भवानी सिंह को हराया था 84 हजार वोट से

नवीं लोकसभा के लिए नवम्बर 1989 में चुनाव हुआ। तब बोफोर्स रिश्वत कांड की गूंज थी। भारतीय जनता पार्टी ने जयपुर संसदीय क्षेत्र से गिरधारी लाल भार्गव को चुनाव मैदान में उतारा। वह मांकन भरने के पश्चात महारानी गायत्री देवी का आशीर्वाद लेने गए। भार्गव ने सिटी पैलेस जाकर अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस ई प्रत्याशी ले. कर्नल भवानी सिंह से भी मतदाता के रूप में अपने पक्ष में मतदान करने का अनुरोध किया। तब की जानकारी के अनुसार भार्गव ने पूर्व में महाराजा से भाजपा प्रत्याशी बनने पर चुनाव नहीं लड़‌ने की बात कही थी।

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इस चुनाव में गिरधारी लाल भार्गव को 54.25 % अर्थात 3लाख 84 हजार 125 वोट तथा ले. कर्नल भवानी सिंह को 2 लाख 99 हजार 638 (42.32%) मत मिले। भार्गव की जीत 84 हजार 487 वोटों के अंतर से हुई। शेष 15 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। कांग्रेस प्रत्याशी को के वल जौहरी बाजार निर्वाचन क्षेत्र से मात्र 2456 मतों की बढ़त मिली। जयपुर ग्रामीण में कड़ेसंघर्ष में भार्गव के वल 493 मतों की लीड ले सके ।

गुलाब बत्रा, वरिष्ठ पत्रकार