Bhinmal Vidhan Sabha: तीन चुनाव में BJP ने लगाई जीत की हैट्रीक, अब बदलेगे समीकरण या जारी रहेगी परंपरा

राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियां हर संभव तरीके से एक-एक विधानसभा सीट पर कब्जा करने की कोशिश कर रही हैं।

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Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियां हर संभव तरीके से एक-एक विधानसभा सीट पर कब्जा करने की कोशिश कर रही हैं। राजस्थान के जालौर जिले की भीनमाल विधानसभा सीट को लेकर को लेकर जानकारी साझा करेंगे। कभी भीनमाल सीट कांग्रेस का गढ़ कही जाती थी, लेकिन अब यहां बीजेपी का वर्चस्व है आइए जानते है इस सीट के इतिहास और समीकरण के बारें…

भीनमाल सीट का इतिहास

भीनमाल विधानसभा क्षेत्र 1990 तक हमेशा कांग्रेस का गढ़ रहा, लेकिन 1993 में जातिगत समीकरण साधने के लिए भाजपा ने पूराराम चौधरी को टिकट देकर कांग्रेस के गढ़ को ध्वस्त करने की कोशिश की। 1993 में पूराराम चौधरी करीब 14 हजार वोटों से जीते थे और उसके बाद लगातार बीजेपी उन्हें अपना उम्मीदवार बनाती रही है। पिछले तीन चुनाव से भीनमाल विधानसभा में लगातार भाजपा विधायक जीतते आ रहे है।

पांच में से दो बार चुनाव हारे पूराराम

पूराराम चौधरी पाँच में से दो चुनाव वे 1998 और 2003 में हार गये, लेकिन बहुत कम अंतर से। 2003 के चुनाव में वह कांग्रेस के डॉ. समरजीत सिंह से महज 1813 वोटों से हार गए, लेकिन 2008 में उन्होंने 21 हजार वोटों की बढ़त के साथ चुनाव जीता। चौधरी ने 2013 का चुनाव 40 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से जीता था।

भीनमाल विधानसभा जनसंख्या

2018 के चुनाव में कुल 307357 मतदाता थे, जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 162729 थी। 2018 के चुनाव में भीनमाल विधानसभा क्षेत्र से 12 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था, लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस के पूर्व विधायक समरजीत सिंह और बीजेपी के मौजूदा विधायक पूराराम चौधरी के बीच था।

भीनमाल विधानसभा में जातिय समीकरण

भीनमाल विधानसभा क्षेत्र में ओबीसी वर्ग में चौधरी (कलबी) भोमिया राजपूत, देवासी, राजपुरोहित, माली, रावणा राजपूत, सुथार, घांची, बिश्नोई, जाट समुदाय के लोग रहते हैं, जबकि एससी-एसटी समुदाय में मेघवाल, भील, वाल्मिकी, हीरागढ़ सरगरा में रहते है। इनके अलावा राजपूत, भोमिया, राजपूत, राजपुरोहित और ब्राह्मण वर्ग के लोग भी सामान्य वर्ग में शामिल हैं।