15,000 महिलाओं ने 115 साल पहले की थी औरतों के हक के लिए लड़ाई, 65 साल बाद मिली थी International Women’s Day को पहचान

8 मार्च को पूरे विश्व में महिला दिवस मनाया जाता है। ये दिन जेंडर इनिक्वालिटी और महिलाओं के ऊपर हो रहे अपराधों के प्रति दुनिया…

International Womens Day 1 | Sach Bedhadak

8 मार्च को पूरे विश्व में महिला दिवस मनाया जाता है। ये दिन जेंडर इनिक्वालिटी और महिलाओं के ऊपर हो रहे अपराधों के प्रति दुनिया को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। लेकिन क्या आपके मन में कभी ये सवाल उठा है कि, आखिर इस दिन को मानने की जरूरत क्यों पड़ी और आखिर इस दिन की बुनियाद किसने रखी। आज हम इस दिन का इतिहास और महत्व को समझेंगे।

आखिर किसने की थी इस दिन की शुरुआत

‘इंटरनेशनल विमेंस डे'(International Women’s Day) की शुरुआत साल 1910 में क्लारा जेटकिन नाम की एक महिला ने की थी। दरसल, ये दिन कामगारों के आंदोलन से निकला था। इस दिन की बुनियाद के लिए साल 1908 में तकरीबन 15 हजार महिलाओं ने न्यू यॉर्क में परेड निकली थी। इन महिलाओं की मांग थी कि, उनके काम के घंटे कम हो, सैलरी मर्दों के बराबर मिले और सबसे महत्वपूर्ण वोट डालने का हक मिले। इसके एक साल बाद अमरीका की सोशलिस्ट पार्टी ने विश्व में पहली बार राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया। लेकिन इस दिन को इंटरनेशनल बनाने का ख्याल जिन्हें आया उनका नाम क्लारा ज़ेटकिन था।

कौन थीं क्लारा ज़ेटकिन

क्लारा ज़ेटकिन एक लेफ्टिस्ट थीं। उन्होंने हमेशा से महिलाओं के हक में अवाज उठाई थी। इस दिन को दुनियाभर में पहचान मिले इस बात का सुझाव उन्होंने साल 1910 में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन में हो रहे एक कामकाजी महिलाओं के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दिया था। इस सम्मेलन में लगभग 17 देशओं की 100 से अधिक महिलाएं आई थी, इन सभी महिलाओं ने बिना किसी विचार के क्लारा के सुझाव पर हामी भरी थी। इसके बाद पहला ‘इंटरनेशनल विमेंस डे’ साल 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटज़रलैंड में मनाया गया था।

8 मार्च ही क्यों अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) के रूप में चुना गया

जब क्लारा ने इस दिन को मनाने का सुझाव दिया था तो उनके मन में ऐसी कोई डेट नहीं थी। लेकिन ‘इंटरनेशनल विमेंस डे’ (International Women’s Day) साल 1917 में तब तय हुआ जब रूस की महिलाओं ने ‘रोटी और अमन’ की मांग करते हुए, ज़ार की हुक़ूमत के ख़िलाफ़ हड़ताल की थी। इसके बाद ज़ार निकोलस द्वितीय को अपना पोस्ट छोड़ना पड़ा था।

क्या है इस साल की थीम

इस साल UN ने ‘इंटरनेशनल विमेंस डे’ की थीम, डिजिट ऑल: इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी फॉर जेंडर इक्वीलिटी रखी है। इसका एक महत्वपूर्ण कारण ये है कि, आज भी पुरुषों की तुलना में 259 मिलियन महिलाएं इंटरनेट का उपयोग नहीं कर पाती हैं। हिलाओं को विज्ञान, गणित, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग के करियर में बड़े पैमाने पर कम प्रतिनिधित्व दिया जाता है। ऐसे में महिलाओं की जरूरतों को पूरा करने के साथ लैंगिग समानता को बढ़ावा देने के लिए इस थीम को चुना गया है।

इस दिन को दर्शाते हैं ये तीन रंग

‘इंटरनेशनल विमेंस डे’ को ये तीन रंग दर्शाते हैं, सफेद, हरा और बैगनी। विमेंस डे कैंपेन के अनुसार सफेद रंग शुद्धता, हरा रंग उम्मीद और बैगनी रंग न्याय और गरिमा को प्रदर्शित करता है।

इन देशों में रहती है ‘इंटरनेशनल विमेंस डे’ पर छुट्टी

‘इंटरनेशनल विमेंस डे’ के दिन दुनिया में कई ऐसे देश हैं जो नेशनल हॉलीडे देते हैं। उनमें जिनके नाम शामिल हैं वो हैं, रूस, बेलरूस, युगांडा, अफगानिस्ता-क्यूबा, वियतनाम, यूक्रेन और कंबोडिया।

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