सर्वे में कांग्रेस की बढ़त से विरोधी चिंतित… CM गहलोत की छवि बिगाड़ने की कोशिश शुरु

गर्मी भले ही अभी तेजी न दिखा रही हो, लेकिन कुछ एजेंसियां चुनाव के लिए शांत प्रदेश राजस्थान को सांप्रदायिक रंग देकर गरमाने की कोशिश में जुट गई हैं।

image 2023 04 08T071628.188 | Sach Bedhadak

जयपुर। गर्मी भले ही अभी तेजी न दिखा रही हो, लेकिन कुछ एजेंसियां चुनाव के लिए शांत प्रदेश राजस्थान को सांप्रदायिक रंग देकर गरमाने की कोशिश में जुट गई हैं। कोशिश एक ही है, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की छवि को ज्यादा से ज्यादा खराब कर प्रदेश में ध्रुवीकरण का माहौल बनाया जाए। क्योंकि, राजस्थान को लेकर आ रहे सर्वे में पहली बार कांग्रेस बढ़त लिए दिख रही है। मुख्यमंत्री गहलोत और सरकार के खिलाफ कोई नकारात्मक माहौल भी नहीं है। इससे विरोधी दल भी चिंतित है। चुनाव से पूर्व सभी दल कुछ न कुछ करते हैं, लेकिन कांग्रेस के लिए यह चिंता का विषय हो सकता है कि उनके लोकप्रिय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए ऐसे षड्यंत्र की तैयारी हो रही है, जिससे प्रदेश में ध्रुवीकरण का माहौल तैयार किया जा सके।

पैसे देकर सोशल मीडिया पर घटनाएं अपने तरीके से करवा रहे वायरल

सूत्रों की मानें तो राजस्थान में अभी से कुछ एजेंसियां युवाओं को टारगेट कर रही हैं। इसके लिए रोजाना कुछ राशि युवाओ को दी जा रही है। इन युवाओं का काम सोशल मीडिया में उदयपुर कांड, जयपुर दंगों समेत सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े सभी मामले, इसके साथ रेप की बढ़ती घटनाओं को अपने तरीके से वायरल कर मुख्यमंत्री गहलोत और उनकी सरकार की छवि को खराब करना है। उदयपुर की टना को हिंदुओं की बलि के रूप में दिखाया जा रहा है।

लोकप्रिय योजनाओं के कारण माहौल पूरी तरह बिगाड़ने की कोशिश

इस तरह के सोशल मीडिया के प्रचार से ऐसा लग रहा है कि मुख्यमंत्री गहलोत के लोकप्रिय फै सलों और योजनाओं से ध्यान हटा कर माहौल को पूरी तरह से बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। हालांकि बीजेपी सीधे इसमें शामिल नहीं है, लेकिन चुनावी लाभ तो उसे ही मिलेगा। कांग्रेस और निजी एजेंसियों के सर्वे में इस बार राजस्थान में कांग्रेस की सरकार रिपीट होने के आसार बनते जा रहे हैं।

सरकार की वापसी तय देख रची जा रही साजिश

बहरहाल, गहलोत के तमाम लोकप्रिय फैसलों और योजनाओं के बाद राइट टू हेल्थ कानून के लागू होने के बाद कांग्रेस में खासा उत्साह है। आलाकमान ने इसके लिए विशेष रूप से मुख्यमंत्री गहलोत की पीठ थपथपाई है। राहुल गांधी भी चाहते थे यह कानून बने। गहलोत की ओपीएस से लेकर राइट टू हेल्थ तक तमाम दर्जन भर से ज्यादा ऐसी योजनाएं, जिनके चलते सरकार की वापसी तय मानी जा रही है। विपक्ष के पास बोलने के लिए कुछ नहीं बचा है। यही वजह है कि चुनाव से पूर्व माहौल बिगाड़ने के षड्यंत्र कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

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