दुनिया का सबसे कीमती पौधा है केसर, 3 लाख रूपये किलो बिकती है भारत की सैफ्रन

केसर हमारे शरीर के लिए कितनी फायदेमंद है इसके बारे में सभी को पता है। बचपन से हम सभी ने केसर का नाम खूब सुना…

Saffron is the most valuable plant in the world, India's saffron is sold for Rs 3 lakh per kg

केसर हमारे शरीर के लिए कितनी फायदेमंद है इसके बारे में सभी को पता है। बचपन से हम सभी ने केसर का नाम खूब सुना है। शायद ही कोई बच्चा होगा जिसने अपने शुरूआती दिनों में इसका का सेवन नहीं किया हो। कहते हैं कि केसर के सेवन से बच्चे को मजबूती मिलती है। इसलिए 1 से 5 साल तक के बच्चे को केसर खिलाया जाता है। यह पौधा दुनिया का सबसे कीमती पौधा माना जाता है। लेकिन इसकी खेती करना उतना ही मुश्किल होता है।

इसके लिए मशीनरी का उपयोग नहीं किया जाता, बल्कि इसमें व्यक्ति की मेहनत सबसे अधिक लगती है। इस कारण यह बहुत महंगी होती है। वर्तमान में उत्तराखंड के चौबटिया ज़िले में केसर की खेती करने का प्रयास किया जा रहा है। विदेशों से भारत में इसका आयात भी किया जाता है। इसे अंग्रेजी में सैफ्रन कहते हैं तथा इसका वानस्पतिक नाम क्रोकस सैटाइवस है। कश्मीर के लोगों के लिए केसर वरदान मानी जाती है। इसका क्या कारण है इसी के बारे में जानेंगे आज के कॉर्नर में… 

केसर के बारे में 

यह एक सुगंधित पौधा है जिसकी खेती समुद्री तल से दो हजार मीटर की ऊंचाई पर की जाती है। इसमें बैंगनी रंग के फूल लगते हैं, इन्हीं में धागों के रूप में केसर उगती है। इन धागों को निकालने के लिए मशीन का इस्तेमाल नहीं किया जाता, बल्कि लोग अपने हाथों से इसे एक-एक कर निकालते हैं। इसके फूल में लगने वाले धागों को वर्तिकाग्र कहते हैं। जिसे कुंकुम, जाफरान और सैफ्रन के नाम से भी जानते हैं।

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यह इरिडेसी कुल का पौधा है, जो कि क्रोकस सैटाइवस नामक क्षुद्र वनस्पति है, जिसका मूल स्थान दक्षिण यूरोप है। हालांकि इसकी खेती फ्रांस, स्पेन, भारत, ईरान, इटली, ग्रीस, जर्मनी, जापान, रूस, आस्ट्रिया, तुर्किस्तान, चीन, पाकिस्तान के क्वेटा तथा स्विटज़रलैंड में की जाती है। वर्तमान में सबसे अधिक केसर स्पेन में उगाया जाता है। दूसरे नंबर पर ईरान का नाम आता है। इन दोनों देशों में विश्व के कुल उत्पादन का 80 प्रतिशत (लगभग 300 टन प्रतिवर्ष) प्राप्त किया जाता है। 

कश्मीरी केसर को मिला GI टैग

भारत में उगने वाली केसर में से कश्मीर की केसर सबसे अधिक उपयोगी होती है। देशभर के लोग यहां की केसर का इस्तेमाल मक्खन जैसे खाद्य पदार्थों में रंग व स्वाद लाने के लिये करते हैं। यहां की केसर सोने जितनी कीमती है। जो कि तीन से साढ़े तीन लाख रुपये प्रतिकिलो मिलती है। यह कमल की तरह सुन्दर, गंधयुक्त, बेहद हल्की, पतली तथा लाल रंग की होती है। इसे जीआई टैग भी प्राप्त है। यहां की कश्मीरी मोंगरा केसर की सर्वोतम किस्म मानी गई है। उष्णवीर्य, उत्तेजक, आर्तवजनक, दीपक, पाचक, वात-कफ-नाशक और वेदनास्थापक जैसे रोगों में इसका चिकित्सकीय उपयोग किया जाता है।  

भारत में यहां होती है खेती

भारत में केसर की खेती प्रमुख रूप से की जाती है। यह इतनी सुगंधित होती है कि लोग इसकी महक लेने के लिए केसर के बागानों को विशेष रूप से देखने जाते हैं। जम्मू-कश्मीर तथा सिक्किम में इसकी खेती की जाती है। लेकिन जम्मू के किस्तवार, कश्मीर के पामपुर, बड़गाम तथा श्रीनगर में मुख्य रूप से होती है। वर्षों पहले कश्मीर की केसर विश्व बाज़ार में श्रेष्ठतम मानी जाती थी। इसकी बुवाई अगस्त-सितंबर में की जाती है, अक्टूबर से दिसंबर तक इसमें पुष्प आना शुरू हो जाते हैं। 

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