किसी भी ऋतु में उगाई जा सकती है भिंडी, जानिए देशभर में इसके कितने नाम  

भोजन के स्वाद को लाजवाब बनाने के लिए हम तरह-तरह की सब्जियां खाते हैं। इन्हीं सब्जियों को और स्वादिष्ट बनाने के लिए कई मसालों का…

Okra can be grown in any season, know its many names across the country

भोजन के स्वाद को लाजवाब बनाने के लिए हम तरह-तरह की सब्जियां खाते हैं। इन्हीं सब्जियों को और स्वादिष्ट बनाने के लिए कई मसालों का उपयोग किया जाता है। लेकिन वहीं कुछ सब्जियां ऐसी होती हैं जिनमें ज्यादा मसालें न भी डाले जाएं तो भी वह उतना ही स्वाद देती है। जैसे- गिलकी, लौकी, पालक, मैथी और भिंडी। ये सब्जियां अपनेआप में अलग स्वाद लिए होती है। इनमें मुख्य सब्जी भिंडी है, जो कि खाने में स्वादिष्ट होती है।

इसकी पैदावार कैसे होती है, सभी राज्यों में इसे किस नाम से जाना जाता है तथा इसकी कितनी किस्में होती है इन सब के बारे में जानेंगे आज के कॉर्नर में… इसकी पैदावार बेहद आसान है, वहीं कम लागत में यह अधिक मुनाफा देती है। इसलिए देशभर के लाखों किसान इसकी फसल कर रहे हैं। भिंडी के बीज को उगने के लिये 27 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट के तापमान का आवश्यकता होती है। यह ऐसी फसल है जिसे ग्रीष्म तथा खरीफ दोनों प्रकार की ऋतुओं में की जा सकती है। 

अलग-अलग नाम

भिण्डी एक प्रकार की तरकारी है। इससे सब्जी तथा भुजिया बनाई जाती है। भिंडी का पौधा लगभग 1 मीटर लम्बा होता है। अंग्रेजी में इसे लेडिज फिंगर कहा जाता है। विभिन्न राज्यों और भाषाओं में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उत्तरप्रदेश में राम तरोई, छत्तीसगढ़ में रामकलीय, बंगाली भाषा में स्वनाम ख्यात फलशाक, मराठी में भेंडी, गुजराती में भींडा तथा फारसी में वामिया कहते हैं। ओकरा के नाम से भी इस तरकारी को जाना जाता है।

इसका उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है। इसकी जड़ों से बने चूर्ण से धातुदौर्बल्य और आमवात जैसी समस्याएं दूर होती है। भिंडी में पर्याप्त मात्रा में आयरन पाया जाता है, जो कि मानव शरीर के लिए लाभदायक होता है। इसके अलावा भिंडी में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवण, कैल्शियम, फॉस्फोरस, विटामिन ए, बी, सी, आयोडीन, थाईमीन तथा रिबोफ्लेविन जैसे महत्वपूर्ण तत्व भी पाए जाते हैं। कब्ज रोग में भी यह खास गुणकारी साबित होती है।

भिंडी की खेती 

इसकी खेती एक वर्ष में दो बार की जाती है। इसकी गर्मी की फसल की बुवाई फरवरी-मार्च तथा वर्षाकालीन फसल की बुवाई जून-जुलाई में की जाती है। हालांकि वर्ष में दो बार से अधिक भी इसकी खेती की जा सकती है। इसके लिए तीन सप्ताह का अंतराल रखा जाना आवश्यक है। भारत में इसकी खेती मुख्य रूप से महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, बिहार, झारखंड तथा गुजरात में की जाती है। बाकी फसलों और सब्जियों की तुलना में इससे किसानों को अधिक मुनाफा मिलता है। मध्यप्रदेश में करीब 23500 हेक्टेयर में इसकी खेती की जाती है। इसकी खेती गर्म व नम वातावरण में की जाती है। 

कई प्रकार की किस्में

भिंडी की कई प्रकार की किस्में पाई जाती है। इनमें पूसा ए -4, परभनी क्रांति, पंजाब -7, अर्का अभय, अर्का अनामिका, वर्षा उपहार, हिसार उन्नत, वी.आर.ओ. -6 प्रमुख है। इसमें अधिक उपज प्राप्त करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा संकर भिंडी की किस्मों में विकास किया जा रहा है। इसके लिए खाद के रूप में गोबर का इस्तेमाल किया जाता है तथा खरपतवार नियंत्रण के लिए रासायनिक नींदानाशकों का भी प्रयोग किया जाता है। 

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