INDIA का नाम बदलाने पर देश की साइट्स पर पड़ेगा कोई असर? जानें पूरी डिटेल

विपक्ष वैसे तो सरकार पर हमेशा हमलावर रहता है, लेकिन इन दिनों संसद का विशेष सत्र बुलाने को लेकर विपक्ष के तमाम नेता सरकार को लगातार घेरने का प्रयास कर रहे है। केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर के बीच संसद में विशेष सत्र को बुलाया है।

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Jaipur: विपक्ष वैसे तो सरकार पर हमेशा हमलावर रहता है, लेकिन इन दिनों संसद का विशेष सत्र बुलाने को लेकर विपक्ष के तमाम नेता सरकार को लगातार घेरने का प्रयास कर रहे है। केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर के बीच संसद में विशेष सत्र को बुलाया है।

इस बीच चर्चाएं तेज हो गई है कि केंद्र सरकार देश का नाम भारत किए जाने का प्रस्ताव रख सकती है। अब ऐसे में एक बड़ा सवाल खड़ा हुआ है कि अगर सरकार ऐसा करती है तो इससे भारत की उन वेबसाइट्स का क्या होगा जो .in डोमेन ले रखा हैं? क्या ये सभी वेबसाइट्स बंद हो जाएंगी? तो चलिए इस सवाल का जवाब जानने की कोशिश करते हैं।

क्या है डोमेन?

सबसे पहले यह जानना जरुर है कि डोमिन क्या होता है। टॉप लेवल डोमेन इसे टीएलडी भी कहते हैं टीएलडी एक या दो अक्षर का डोमेन होता है, जो उस देश की वेबसाइट्स के आखिर में अंकित होता है। उदाहरण के लिए जैसे- www.india.gov.in ऐसे में इसमें आखिर में दिया .in डोमेन है। इसे डोमिन कहते है।

देश के हिसाब से होते है डोमिन

  • भारत – .in
  • अमेरिका – .us
  • जर्मनी – .de
  • यूनाइटेड किंगडम – .uk

नाम बदलने के बीच चर्चा तेज

India का नाम भारत रखने को लेकर देश में चर्चा तेज है। हाल ही में G-20 के लिए राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए न्यौते में प्रेसिडेंस ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिंडेस ऑफ भारत लिखा गया था।

इसके बाद से ही लगातार कयास लगाए जा रहे है कि देश का नाम बदलने को लेकर कयाय लगाए जा रहे है। अब इस स्थिति में देश की वेबसाइट्स के आखिर में अंकित .IN का क्या होगा। इसको लेकर सभी के मन में सवाल है।

डोमिन बदलने की संभावना

अगर देश का नाम भारत रखा जाता है, तो यहां पर एक संभावना बनती है कि हो सकता है कि सरकार .in को बदलकर .bh कर दिया जाए या डोमेन कुछ और भी हो सकता है।

इसके लिए Internet Assigned Numbers Authority के साथ साथ ICANN के सहयोग की जरूरत पड़ेगी। यहां ये जान लें कि ये संस्थान ग्लोबली डोमेन नेम और आईपी एड्रेस को मैनेज करने का काम करती है।

इस बात को भी ध्यान में रखने की जरुरत है कि पुराने टीएलडी को नए पर रिडायरेक्ट किया जा सकता है, जिसके लिए वेबसाइट के ओनर को वक्त चाहिए होगा। ऐसे में तब तक दोनों ही टीएलडी उपलब्ध होंगे और इन्हें माना जाएगा।

‘डॉट इन’ भी रह सकता है बरकरार

इसके अंदर एक संभावना यह भी है कि अगर देश का नाम बदलता है तो भी सरकार चाहे तो .IN के डोमिन को बरकरार रख सकती है। उदाहरण के लिए समझिए की चेक रिपब्लिक ने साल 2016 में अपना नाम बदलकर चेकिया कर लिया, लेकिन अपने टीएलडी को उसने .cr ही रहने दिया यानी उसमें किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया।

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