Shri Krishna Janmashtami : इस तरह रखें जन्माष्टमी का व्रत, पूर्ण होंगी सभी मनोकामनाएं

देश में त्योहारों का सीजन शुरु हो चुका है। रक्षाबंधन के बाद अब श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी होने लगी है। इस बार दो दिन यानी…

kanha 2 | Sach Bedhadak

देश में त्योहारों का सीजन शुरु हो चुका है। रक्षाबंधन के बाद अब श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी होने लगी है। इस बार दो दिन यानी 18 और 19 तारीख को जन्माष्टमी पर्व मनाया जाएगा। इसके लिए लोगों ने भी तैयारियां शुरू कर दी है। देश के लगभग हर परिवार में बाल-गोपाल को रिझाने के लिए कई तरह के उत्सव किए जाएंगे। लेकिन इनमें से कई लोग जन्माष्टमी व्रत का पालन करने में कई गलतियां कर देते हैं। इसलिए आपसे भी कोई गलती या चूक न हो इसके लिए हम आपको बताएंगे कि श्री कृष्ण ज्नमाष्टमी की व्रत किस तरह रखें जिससे लड्डू गोपाल प्रसन्न होंगे और आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।

इस तरह के करें व्रत की शुरुआत

व्रत की शुरुआत करने से पहले आपको तिथियों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की अष्टमी का व्रत रखने के लिए सप्तमी तिथि से ही व्रत का पालन करना चाहिए। जो कार्य व्रत में वर्जित हों उनके बारे में सोचना भी नहीं चाहिए। सप्तमी के दिन भी आपको तामसिक भोजन से दूरी बनानी होगी। लहसुन, प्याज, मूली समेत ऐसी खाद्य सामग्रियों का त्याग करना चाहिए। सप्तमी के दिन सिर्फ आहार ग्रहण करें। यही नहीं आपको सप्तमी से लेकर अष्टमी तक ब्रह्मचर्य व्रत का पालन भी करना होगा। दिन भर अपने मन में विचारों में अशुद्धियां या द्वेष की भावना न आने दें। इन्हें दूर रखने का सबसे सरल उपाय यह है की सारा दिन आप भगवान के भजन कीर्तन या व्रत पूजा के कार्यों में लगे रहें, इसमें आप लड्डू गोपाल की मनमोहक झांकियों को सजाने का काम भी कर सकते हैं, क्योंकि इससे आपका मन भी नहीं विचलित होगा और अपने आराध्य की आप पूरे मन से सेवा भी कर पाएंगे।

इस तरह करें लड्डू गोपाल का पूजन

भगवान कृष्ण के पूजन के लिए पहले ही सारी सामग्री तैयार कर रख लें ताकि पूजा के समय कोई विधि या विधान ना भूलें। पूजन के लिए आपको श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की मूर्ति की घर की उचित दिशा में स्थापना करें। क्योंकि जन्माष्टमी का मुहूर्त लगते ही रात के 12 बजे भगवान का जन्म होता है वैसे ही आपको घंटे-घड़ियाल, शंख आदि को बजाना चाहिए। इन वाद्य यंत्रों की ध्वनि का अर्थ ही किसी शुभ कार्य का संकेत होता है। इसके बाद लड्डू गोपाल का अभिषेक प्रक्रिया आरंभ करनी चाहिए। आपको लड्डू गोपाल का अभिषेक पंचामृत से करना होगा। इन पंचामृत में दूध, दही, गंगाजल, शहद, और मावा जरूरी है। इसलिए लड्डू गोपाल का इन पांच सामग्रियों से अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद भगवान को साफ कपड़े से प्रेम से हल्के हाथों से पोछें।

भगवान को नए पीले रंग के वस्त्र धारण कराएं, उन्हें आभूषणों से सजाएं और हां उन्हें बांसुरी देना न भूलें। साथ ही उनके सिर पर मोर पंख का मुकुट जरूर पहनाएं। जिस तरह घर में जन्में एक छोटे बच्चे का पहला स्नान होता है उसी तरह बाल रूप में कान्हा को दुलारें, उन्हें उनके झूले या पालने में विराजित करें, उन्हें धीरे-धीरे झूला झुलाएं। इसके बाद उन्हें पुष्प अर्पित करें, भोग लगाएं, माखन का भोग लगाना बिल्कुल न भूलें। क्योंकि माखन तो लड्डू गोपाल का सबसे प्रिय है। इसके बाद अब धूप दीप और ज्योति प्रज्वलित कर भगवान श्री कृष्ण की आरती उतारें। आरती उतारने के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें और अंत में उसी प्रसाद को खुद भी ग्रहण करें और अपना व्रत खोलें। विशेषज्ञों के अनुसार यही श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा और व्रत विधि है। भक्त इसका पालन कर अपनी सारी मनोकामनाएं भगवान के समक्ष रखते हैं और बाल गोपाल उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

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