अविश्‍वास प्रस्‍ताव को लेकर बेफिक्र हैं PM मोदी, क्या रत्ती भर भी हिलेगी सरकार? यहां समझिए पूरा गणित

केंद्र सरकार के खिलाफ बुधवार को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जिसे 50 सांसदों का समर्थन मिला.

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Parliament Monsoon Session: मणिपुर हिंसा पर देश की संसद में लगातार बवाल चल रहा है जहां गुरुवार को लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही स्थगित कर दी गई. वहीं विपक्षी दल पीएम मोदी के जवाब की मांग पर अड़ा है इस बीच बुधवार को विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जिसे 50 सांसदों के समर्थन के बाद लोकसभा स्पीकर ने स्वीकार कर लिया जिसके बाद अब प्रस्ताव पर बहस होगी. वहीं अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा से पहले लोकसभा स्पीकर सभी दलों के प्रमुख नेताओं से बात करेंगे और चर्चा का समय और दिन तय किया जाएगा.

जानकारी के मुताबिक पीएम मोदी अपने कार्यकाल में दूसरे अविश्‍वास प्रस्‍ताव का सामना करेंगे जहां जुलाई 2018 में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) ने सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव पेश किया था जो 130-330 से गिर गया था. वहीं संसद के अब तक के इतिहास में 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है जहां तीन बार सरकारें गिर गई थी.

क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव?

बता दें कि किसी खास मुद्दे पर जब विपक्ष नाराजगी जाहिर करता है तो वह सरकार से जवाब मांगते हैं लेकिन उस पर बहस नहीं होने पर लोकसभा के किसी सांसद की ओर से स्पीकर को एक नोटिस दिया जाता है जिसे अगर 50 सांसदों का समर्थन मिलता है तो उस पर स्पीकर बहस करने की इजाजत देते हैं.

वहीं बहस के बाद सांसदों की तरफ से वोटिंग भी की जाएगी. बहस के दौरान विपक्ष मामले में आरोपों की झड़ी लगा देगा जिसके बाद सरकार की ओर से पक्ष रखा जाएगा.

मोदी सरकार है एकदम सेफ

वहीं विपक्ष की ओर से प्रस्ताव लाने के बावजूद भी सदन में मोदी सरकार पूरी तरह से सेफ है जहां उनके पास पूर्ण बहुमत है. जानकारी के लिए बता दें कि सरकार को खतरे में डालने के लिए सदन में मौजूद और वोट करने वाले सदस्यों में से 50 फीसदी से ज्यादा का समर्थन जरूरी है. मोदी सरकार के पास फिलहाल 329 सांसद है और विपक्ष के सांसदों की संख्या 142 है.

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