अंतरिक्ष में ISRO बनाएगा स्पेस स्टेशन… विश्व में बढ़ेगा देश का रुतबा, चीन के तियानगोंग को मिलेगी चुनौती

चंद्रयान-3 की सफलता के बाद हमारी स्पेस एजेंसी इसरो अंतरिक्ष में एक पर एक कमाल कर रही है।

space station in space

ISRO : नई दिल्ली। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद हमारी स्पेस एजेंसी इसरो अंतरिक्ष में एक पर एक कमाल कर रही है। हाल ही में भारत चांद पर जाने वाला चौथा और वहां भी साउथ पोल पर लैंड करने वाला पहला देश बना। अब इसरो ने अपने दो और बड़े लक्ष्य बना लिए हैं। 

गगनयान मिशन की स्थिति जानने के लिए पीएम मोदी ने मंगलवार को इसरो वैज्ञानिकों के साथ एक हाई लेवल रिव्यू मीटिंग रखी। वैज्ञानिकों ने कहा कि सब कुछ ठीक चल रहा है। इसके साथ उन्होंने 2035 तक भारत के स्पेस स्टेशन और 2040 में चंद्रमा पर पहले भारतीय को पहुंचाने का लक्ष्य बनाया है।

क्या होता है स्पेस स्टेशन? 

अंतरिक्ष में कई प्रयोग होते हैं। इन प्रयोगों को करने के लिए लैब या वैज्ञानिकों के रहने की जगह बनानी होती है। इसके लिए अंतरिक्ष में धातु का एक स्टेशन बनाया जाता है, जो लगातार धरती का चक्कर लगा रहा होता है। अभी अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के नेतृत्व वाला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) और चीन का तियानगोंग स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में है। अंतरिक्ष स्टेशन एक कृत्रिम संरचना है, जिसे पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाता है और जो वहीं रहता है।

चीन भी कर चुका स्पेस स्टेशन स्थापित

चीन के तियानगोंग स्पेस स्टेशन के तीन मॉड्यूल हैं, लेकिन आने वाले वर्षों में चीन तीन नए मॉड्यूल को जोड़ना चाहता है, ताकि अन्य देशों के अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी के करीब मिशन के लिए वैकल्पिक मंच दिया जा सके। चीन अपने स्टेशन को ऐसे समय पर बढाना चाहता है जब आईएसएस कुछ वर्षों में रिटायर होगा। तियानगोंग स्पेस स्टेशन की बात करें तो उसका जीवनकाल अगले 15 वर्षों तक होगा। 2022 से यह पूरी तरह काम कर रहा है। धरती से यह 450 किमी की ऊंचाई पर है। इसमें अधिकतम तीन अंतरिक्ष यात्री रह सकते हैं।

रिटायर होगा चीन का आईएसएस

छह मॉड्यूल होने के बाद इसका आकार 180 टन हो जाएगा। तब भी यह आईएसएस के द्रव्यमान का के वल 40 फीसदी है, जिसमें सात अंतरिक्ष यात्री रह सकते हैं। आईएसएस पिछले दो दशकों से कक्षा में मौजूद है और 2030 के बाद उसके निष्क्रिय होने की उम्मीद है। चीनी मीडिया ने पिछले साल कहा था कि तियानगोंग पूरी तरह से चालू हो गया है। इसके अलावा उसने कहा था कि कई देशों को अपने अंतरिक्ष यात्रियों को चीनी स्टेशन पर भेजना चाहिए। आईएसएस को कई देशों ने मिलकर बनाया है, जिसमें रूस भी है। रूसी स्पेस एजेंसी का लक्ष्य है कि वह अपना स्पेस स्शन बनाए।

ये खबर भी पढ़ें:-चंद्रयान-3 का रोवर ‘प्रज्ञान’ फिर से एक्टिव… इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने सुनाई खुशखबरी