देश में 2027 तक बैन किए जा सकते हैं डीजल से चलने वाले व्हीकल

भारत में 2027 तक डीजल गाड़ियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जा सकता है। ऐसा ही सुझाव पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा गठित एक पैनल ने सरकार को दिया है।

image 2023 05 10T081806.143 | Sach Bedhadak

नई दिल्ली। भारत में 2027 तक डीजल गाड़ियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जा सकता है। ऐसा ही सुझाव पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा गठित एक पैनल ने सरकार को दिया है। साथ ही कहा गया है कि डीजल गाड़ियों के बजाय लोगों को इलेक्ट्रिक और गैस से चलने वाले वाहनों पर फोकस करना चाहिए। पैनल ने शहरों की आबादी के अनुसार डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का प्लान बनाया है। इसके अनुसार दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में इलेक्ट्रिक और गैस से चलने वाले वाहनों पर स्विच करना चाहिए, क्योंकि ऐसे शहरों में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है।

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की ऑफिशियल वेबसाइट पर पोस्ट की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत, ग्रीन हाउस गैसों के सबसे बड़े उत्सर्जकों में से एक है। सैकड़ों पन्नों की इस रिपोर्ट में भारत के एनर्जी ट्रांजिशन का पूरा प्लान बताया गया है। इसके अनुसार भारत आगामी 2070 के शुद्ध शून्य लक्ष्य को प्राप्त करने के अपने लक्ष्य पर तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन इसके लिए कुछ खास तैयारियों की जरूरत होगी। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024 से सिटी ट्रांसपोर्टेशन में कोई भी डीजल बसें नहीं जोड़ी जानी चाहिए और 2030 तक ऐसी किसी भी सिटी बस को शामिल नहीं किया जाना चाहिए, जो कि इलेक्ट्रिक नहीं है। वहीं पैसेंजर कार और टैक्सी वाहन 50 फीसदी पेट्रोल और 50 फीसदी इलेक्ट्रिक होने चाहिए। बताया जा रहा है कि 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री 1 करोड़ यूनिट प्रतिवर्ष का आंकड़ा पार कर लेगी।

बसों को करना होगा इलेक्ट्रिफाइड 

देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को 31 मार्च से आगे के लिए फास्टर एडॉप्शन एं ड मैन्युफै क्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक एं ड हाइब्रिड व्हीकल्स स्कीम के तहत दिए गए प्रोत्साहनों के विस्तार पर विचार करना चाहिए। भारत में लंबी दरूी की बसों को इलेक्ट्रिफाइड करना होगा, हालांकि अभी गैस को 10-15 वर्षों के लिए ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

पेट्रोलियम उत्पादों की खपत में 40% हिस्सा डीजल का 

भारत में डीजल की मांग काफी ज्यादा रही है, डीजल वर्तमान में भारत के पेट्रोलियम उत्पादों की खपत का लगभग 40% है। डीजल की खपत 2011 में 60.01 एमएमटी से बढ़कर 2019 में 83.53 एमएमटी हो गई थी, हालांकि साल 2020 और 2021 में कोरोना महामारी और ट्रांसपोर्टेशन में आई कमी के चलते खपत क्रमश: 82.60 और 72.71 एमएमटी रही। इसके वित्तीय वर्ष 2023 में 79.3 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है। पैसेंजर वाहनों में तकरीबन 16.5% डीजल की खपत होती है, जो कि 2013 के 28.5% के मुकाबले काफी कम हुई है।

मारुति सुजुकी ने 2020 से बंद किया डीजल वाहन 

निर्माण मारुति सुजुकी ने पहले ही 2020 में अपने पोर्टफोलियो से डीजल वाहनों को बाहर कर दिया है। वहीं टाटा, महिंद्रा और होंडा ने भी 1.2- लीटर डीजल इंजन का उत्पादन बंद कर दिया है और अब डीजल वेरिएंट के वल 1.5-लीटर या अधिक की इंजन क्षमता वाले वाहनों में ही उपलब्ध है। हुंडई ने साल 2020 में ग्रांड आई10, एनआईओएस और ऑरा मॉडल में 1.2-लीटर बीएस-VI डीजल वेरिएंट पेश किया, लेकिन 2022 से 1.2-लीटर डीजल वाहनों का उत्पादन बंद कर दिया है। ऐसे में डीजल वाहनों की उपलब्धता बाजार में न होने के कारण डीजल की खपत भी काफी कम हुई है। 

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