‘अगर फिल्मों नहीं आती तो जर्नलिस्ट होती’…विजन विद विनायक शो में नुसरत ने बताया अपनी लाइफ का विजन

अपनी अपकमिंग फिल्म ‘अकेली’ के लिए जयपुर आई एक्ट्रेस नुसरत भरूचा ने ‘विजन विद विनायक’ में शो ‘सच बेधड़क’ मीडिया ग्रुप के फाउंडर और एडिटर इन चीफ विनायक शर्मा से इंटरेक्ट होते हुए अपनी लाइफ का विजन साझा किया।

nushrat bharucha 3 | Sach Bedhadak

जयपुर। ‘प्यार में इतनी सच्चाई है कि आप कहीं लिखकर, बहुत सारे फूल खरीदकर इजहार नहीं कर सकते हैं। वह आपको आंखों में दिख जाता है। आपको एक हाथ पकड़ने में मिल जाता है। यह सब आज के जमाने थोड़ा कम है, क्योंकि हम सोशल मीडिया से इतने इन्फ्लुएंस्ड हैं कि एक मैरिज प्रपोजल बड़े पैमाने में करना जरूरी है। क्योंकि, उसकी फोटोज डालनी है। गाड़ी में हाथ पकड़कर या घर पर जाकर शादी के बारे में बोलने में क्या प्रॉब्लम है।’

यह कहना था एक्ट्रेस नुसरत भरुचा का। वे अपनी फिल्म ‘अकेली’ के प्रमोशन के दौरान ‘विजन विद विनायक’ शो में ‘सच बेधड़क’ मीडिया ग्रुप के फाउंडर और एडिटर इन चीफ विनायक शर्मा के साथ इंटरेक्ट कर रही थीं।

Q. ‘अकेली’ नाम सुनते हैं तो ऐसा लगता कि कोई अकेली लड़की संघर्ष कर रही है…लेकिन नारी तो वो होती है जो अकेलेपन को दूर कर देती है, तो इस अकेली फिल्म की क्या कहानी है…?

A. हर औरत इस बात से कनेक्ट करेगी कि उसके आसपास कितने भी लोग मौजूद हों, लेकिन वह फिर भी कहीं ना कहीं अकेली फील करती है। इस मूवी में एक लड़की अपनी फैमिली को सपोर्ट करने के लिए एक ऐसे देश में चली जाती है, जहां जाने की कोई सोचता भी नहीं है। उस देश में जाकर वो अटक जाती है। जब हम अपने देश में ही अकेला फील करते हैं तो
वह दूसरे देश में कितनी अकेली फील करती है। कैसे वह सिचुएशन से फाइट करती है। गिवअप नहीं करती है और अपने देश आने की कौशिश करती है।

Nushart Barucha | Sach Bedhadak

Q.जीवन में सबसे मुश्किल काम है ये पहचानना कि मैं क्या करूं। यह अहसास आपको कब हुआ कि मैं एक्टिंग के लिए बनी हूं?

A, इसका क्रेडिट जाता है ‘लव सेक्स और धोखा’ फिल्म को। इस फिल्म को करने बाद मैं सही मायने में एक्टिंग को समझी और मुझे इस पूरे प्रोसेस से प्यार हो गया…और ठान लिया कि यही करना है।

Q. कोई ऐसा इंसिडेंट या संघर्ष जो कभी किसी से शेयर नहीं किया हो…जिससे लड़कियों को कुछ सीखने को मिले…?

A. जब मेरी फिल्म आकाशवाणी तीन दिन में ही थियेटर्स से उतर गई फिल्म फ्लॉप हो गई। उस फेज से निकलने में मुझे 2 साल लग गए। मैंने घर से निकलना बंद कर दिया। किसी से बात नहीं करती थी। दोस्तों ने फिल्म नहीं देखी तो उनसे भी झगड़ा कर लिया। मैं उस फिल्म से बहत अटैच हो गई थी। जब आप इतनी अटैच हो के सपना देखते हो और वह चूर हो जाता है तो बहुत मुश्किल होता है, लेकिन फिर मैने सोचा इससे बुरा मेरे साथ और कुछ नहीं हो सकता। मेरा कहना यही है कि मुश्किल दौर से डरो मत। उसको जिओ। आप अपने आप स्ट्रांग हो जाओगे।

Q. आप इस करेक्टर को अपनी रियल लाइफ से कैसे कनेक्ट कर पाती हैं।?

A.अकेलपन से निराश नहीं होना चाहिए। अकेलापन वीकनेस नहीं होती है। अकेलेपन में ही एक सेल्फ कॉन्फीडेंस आता है। मेरे एक्टर बनने की फाइट घर से ही शुरू हुई थी। किसी ने सपोर्ट नहीं किया। पहले अपनों के बीच अकेली थी फिर इंडस्ट्री में आई तो यहां कोई सपोर्टिव नहीं था।

Q. कार्यक्रम का नाम विजन विद विनायक है… तो आपका विज़न अब जीवन को लेकर क्या है?

A. जिंदगी में उम्मीदें कभी खत्म नहीं होती। अगर आप मुझसे कहो कि अब सब हो गया खत्म। इसके आगे आपको कुछ नहीं मिलेगा, तो भी में बहुत खुश हूं। फैमिली के साथ। फ्यूचर विजन की बात की जाए तो मेरा विजन यही है कि मैं नीना गुप्ता जी की उम्र में भी फिल्में करती रहूं।

Q. आपका एक बड़ा फेमस डायलॉग कि दोस्ती और लड़की की लड़ाई में हमेशा लड़की जीतती है। असलियत में ऐसा होता है?

A.नहीं, यह लव रंजन का डायलॉग है। मैंने बोला जरूर है बट मैं कहूं तो दोस्ती और लड़की में कम्पटीशन ही नहीं होना चाहिए। दोनों होने चाहिए लाइफ में। दोस्ती भी होनी चाहिए, लड़की भी होनी चाहिए।

Q. तो दोस्ती और प्यार में कौनसा रिश्ता ज्यादा अच्छा है?

A. नुसरत- जो रिश्ता आपको चूज करने की पोजीशन पर ले आए उसको तो पहले ही छोड़ दो।

Q.अगर नुसरत फिल्मों में नहीं होती तो कहां होती?

A. शायद आपकी जगह होती। ऑफकोर्स जर्नलिस्ट होती। अगर यह नहीं करती तो शायद फिल्म के किसी डिविजन में होती। प्रोडेक्शन में होती या कुछ कहानियां कह रही होती। या तो जर्नलिस्ट बनकर अपनी खुद की कहानी लिख के बता रही होती या फिल्मों में बता रही होती।

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