31 से अधिक राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों ने दी नए श्रम कानूनों को मंजूरी, सप्ताह में मिलेगी 3 दिन छुट्टी!

केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए नए श्रम कानूनों पर देश के 31 से अधिक राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों ने अपनी स्वीकृति दे दी है। नए कानून में संगठित और गैर संगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए कई चीजें जोड़ी गई हैं।

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केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए नए श्रम कानूनों पर देश के 31 से अधिक राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों ने अपनी स्वीकृति दे दी है। नए कानून में संगठित और गैर संगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए कई चीजें जोड़ी गई हैं। नए लेबर लॉ में महिला कर्मचारियों को लेकर भी कुछ प्रावधान रखे गए हैं। श्रम मंत्रालय के अनुसार जल्द ही इन कानूनों को लागू भी कर दिया जाएगा हालांकि अभी इस कार्य के लिए तारीख निश्चित नहीं की गई है। जानिए क्या होंगे नए श्रम कानून के प्रावधान

सप्ताह में 48 घंटे से अधिक काम नहीं ले पाएंगे संस्थान

नए लेबर लॉ में प्रत्येक कर्मचारी के लिए काम करने की अधिकतम अवधि एक सप्ताह में 48 घंटे निर्धारित कर दी गई है। अब संस्थान कर्मचारी को इससे अधिक काम नहीं करवा सकेंगे। यही नहीं कर्मचारी और एम्प्लॉयर दोनों आपसी सहमति से सप्ताह के 48 घंटे का कार्य चार दिन में पूरा कर सप्ताह के बचे हुए तीन दिनों में छुट्टी भी ले सकेंगे। यदि कर्मचारी 15 मिनट अधिक रुकता है तो वह ओवरटाइम का हकदार होगा। हालांकि लंबी छुट्टी लेने के लिए कर्मचारियों को 180 दिन काम करना अनिवार्य होगा पहले यह समय सीमा न्यूनतम 240 दिन की थी।

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बेसिक सैलरी कुल CTC की 50 प्रतिशत से अधिक होगी

इस प्रावधान के तहत संस्थानों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है कि वे कर्मचारी की बेसिक सैलरी को उसकी कुल CTC के 50 फीसदी से अधिक रखें। इससे कर्मचारी के हाथ में तनख्वाह कम आएगी परन्तु उसकी ग्रेच्युटी और प्रोविडेंट फंड में बढ़ोतरी होगी जो उसके कठिन समय में काम आएंगे।

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महिला कर्मचारियों से रात में नहीं लिया जा सकेगा काम

नए श्रम कानूनों के लागू होने के बाद महिला कर्मचारियों को बिना उनकी सहमति के रात की पारी में काम करने के लिए नहीं रोका जा सकेगा। यदि ऐसा किया जाता है तो महिलाएं इसकी शिकायत कर सकेंगी और जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी।

इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस ने जताई आपत्ति

नए श्रम कानूनों के कुछ बिंदुओं को लेकर इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। फेडरेशन के अनुसार पहले 20 कर्मचारियों वाला संस्थान भी श्रम कानूनों के दायरे में आता था परन्तु अब इस सीमा को बढ़ाकर 50 करने की सिफारिश की गई है जिसके कारण छोटे संस्थानों में काम कर रहे कर्मचारियों के हितों को नुकसान पहुंचेगा।

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