स्टारअप सटोरी: 1 करोड़ का सालाना पैकेज छोड़ 100 करोड़ के मालिक बने लॉन्ड्री मैन अरुणाभ, अप्रोच व धैर्य से मिसाल बना ‘छोटा’ धंधा

अरुणाभ सिन्हा ने। देश के प्रतिष्ठित आईआईटी मुंबई से पासआउट इंजीनियर अरुणाभ ने एक करोड़ रुपए सालाना का पैकेज छोड़ एक ऐसा काम शुरू किया, जिसे हिकारत की दृष्टि से देखा जाता है।

Arunabh Sinha | Sach Bedhadak

जयपुर। ‘अम्मी जान कहती थीं, कोई धंधा छोटा नहीं होता और धंधे से बड़ा कोई धर्म नहीं होता।’ रईस फिल्म का ये डायलॉग हर उस युवा के लिए एक महावाक्य की तरह है, जो एक तय ढर्रे से बाहर जाकर अपने सपनों को आसमान देने की हसरत रखता है। किसी भी बिजनेस को अगर पूरी शिद्दत से किया जाए तो वह एक मिसाल बन सकता है ये साबित किया है अरुणाभ सिन्हा ने। देश के प्रतिष्ठित आईआईटी मुंबई से पासआउट इंजीनियर अरुणाभ ने एक करोड़ रुपए सालाना का पैकेज छोड़ एक ऐसा काम शुरू किया, जिसे हिकारत की दृष्टि से देखा जाता है।

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उन्होंने एक लॉन्ड्री स्टार्टअप शुरू कर लोगों के कपड़े धोने का काम शुरू किया और आज उनकी कंपनी देश के करीब 100 शहरों से काम कर रही है और करोड़ों का टर्नओवर हो रहा है। भारत जैसे देश में कपड़े धोने के काम को इतने बड़े स्तर तक पहुंचाने का काम कर अरुणाभ ने स्टार्टअप कर कुछ अलग करने की इच्छा रखने वाले युवाओं के सामने एक मिसाल कायम की है।

Arunabh Sinha 1 | Sach Bedhadak

होटल में आया आइडिया

अपना स्टार्टअप शुरू करने का आइडिया अरुणाभ को एक होटल में नौकरी करने के दौरान मिला। उन्होंने देखा कि होटल में लोगों के कपड़े ठीक से साफ नहीं होते हैं। ज्यादातर कपड़ों की धुलाई धोबी घाट में होती है। ऐसे में उन्होंने लोगों के गंदे कपड़ों को धोने का काम शुरू किया। इसमें उनकी पत्नी गुंजन तनेजा ने भरपूर साथ दिया जो कि कं पनी की सहसंस्थापक भी हैं।

अपने सपने के लिए छोड़ा एक करोड़ का पैकेज

मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले अरुणाभ ने 2008 में IIT बॉम्बे से इंजीनियरिगं की डिग्री पूरी की। निजी कं पनी में बड़े पैकेज की नौकरी छोड़ 2011 में अरुणाभ ने अपना पहला स्टार्टअप शुरू किया। परिस्थितियां कु छ असहज हुई तो 2015 में 4 साल पहले शुरू की गई कं पनी को बेच दिया और फिर नौकरी करने लगे। इस बार उन्हें 1 करोड़ रुपए का सालाना पैके ज मिला। लेकिन अपना काम करने की चाह में उन्होंने साल 2016 में फिर नौकरी छोड़ दी और एक नए स्टार्टअप ‘यूक्लीन’ की शुरुआत की जो कपड़े व अन्य आर्टिकल्स धोने का काम करता है।

कभी सुने ताने, आज 100 करोड़ का टर्नओवर

अरुणाभ को अच्छी खासी नौकरी छोड़ने और एक ‘स्तरहीन’ बिजनेस करने के लिए कभी समाज में ताने सुनने पड़े थे। आज उनकी कं पनी 93 शहरों में चल रही है। उनके पास 323 स्टोर्स की चेन है। इसके आउटलेट पूरी तरह से कपड़े धोने की मशीन, स्टीम आयरन टेबल और ड्राई-क्लीनिंग सेटअप से सुसज्जित हैं। प्रशिक्षित टीम स्टोर्स का संचालन और प्रबंधन करती है। किलो के हिसाब से लॉन्ड्री, ड्राईक्लीनिंग, शू क्लीनिंग, बैग क्लीनिंग, सॉफ्ट टॉयज क्लीनिंग जैसी सफाई सेवाएं प्रदान की जाती हैं।

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कस्टमर घर से पिक-अप और डिलीवरी का लाभ उठा सकते हैं। आज उनकी कं पनी तकरीबन 100 करोड़ का टर्नओवर कर रही है। अरुणाभ ने देश के साथ-साथ विदेशों में भी अपने काम को फै लाना शुरू किया है। कं पनी ने बांग्लादेश और नेपाल में भी अपने स्टोर खोले हैं। उनका आगामी प्लान अफ्रीका और मध्य पूर्व के कु छ और देशों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का है।

न हारे, ना रुके , खड़ा किया मॉडल बिजनेस

अरुणाभ के लिए यूक्लीन की शुरुआत अच्छी नहीं रही। वसंत कुं ज के जिस स्टोर को अरुणाभ ने लिया था, उसमें अचानक आग लगने से पहले ही महीने उन्हें 12 लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ा। लेकिन यह नुकसान अरुणाभ के हौसलों को हिला नहीं सका। इसके बाद उन्होंने फ्रेंचाइजी मॉडल पर काम किया। इसके तहत 5 लाख रुपए में फ्रेंचाइजी देनी शुरू की, जिसके बाद उनका कारवां आगे बढ़ता गया। प्राइवेट नौकरी करने वाले अरूणाभ ने देखते ही देखते अपनी मेहनत से कं पनी को नई बुलंदियों पर पहुंचा दिया।

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