Holi Celebration : राजस्थान की अनोखी होली…यहां देवरों की हालत खराब कर देती है भाभी

Unique Holi Celebration In Rajasthan: होली रंगों और हंसी-खुशी का त्योहार है। यह पर्व प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो पूरे देश में धूमधाम…

devar bhabhi kodamar special holi of sawaimadhopur | Sach Bedhadak

Unique Holi Celebration In Rajasthan: होली रंगों और हंसी-खुशी का त्योहार है। यह पर्व प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। होली पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत और वसंत के आगमन के प्रतीक के रूप में रंगों के साथ मनाई जाती है। होली त्योहार को लेकर देश में कई तरह की रोचक परम्पराएं प्रचलित है। यूपी में कई जगहों पर लट्ठमार होली भी खेली जाती थी। वहीं राजस्थान में होली पर देवर-भाभी के प्रेम का अनूठा रिश्ता देखने को मिलता है। यहां लोकगीतों पर जमकर हंसी ठिठौली की जाती है।

देवर को कोड़ा मारती थीं भाभी

राजस्थान में कोड़ामार होली की बात करें तो सवाईमाधोपुर जिले में धुलंडी के अगले दिन कोड़ामार होली खेली जाती है। इस दिन महिलाएं देवरों की पीठ पर कोड़े बरसाती है और देवर भाभी पर रंग लगाते है। भाभियां कपड़े का जो कोड़ा बनाती है। उनके एक सिरे पर छोटा सा पत्थर बांध दिया जाता है। पानी में भीगा कोड़ा जब सनसनाता हुआ होली खेलने वालों की पीठ पर पड़ता तो वह कई दिनों तक भूल नहीं पाता है। लेकिन, बदलते वक्त के साथ आज यह परंपरा धीरे-धीरे विलुप्त हो चुकी है।

आलूओं से की जाती थी मस्ती

होली के इस प्रारूप में आलुओं को बीच से दो भागों में काट देते थे। फिर आलू की समतल सतह पर चाकू की मदद से मैं ग-धा हूं अथवा अन्य कोई चिढ़ाने वाले शब्द लिखते थे। यह शब्द उल्टे यानी दर्पण प्रतिबिम्ब की तरह खोदे जाते थे। फिर इन आलूओं पर स्याही अथवा रंग लगाकर किसी की साफ सुथरी पोशाक पर पीछे से गुपचुप तरीके से अंकित कर दिया जाता था। जब कोई उस व्यक्ति को टोकता तब उसे पता लगता कि किसी अज्ञात शरारती ने उसके साथ ऐसी कारगुजारी कर दी है।

सड़कों पर गाढ़ देते थे सिक्के

इतिहासकार बताते है कि होली पर्व पर बाजारों में पत्थर के चौक की सड़कों पर कुछ दुकानदार सिक्के जमीन में कील की सहायता से चिपका देते थे। इसके बाद वहां से गुजरता हुआ कोई व्यक्ति भ्रमित होकर उसे उठाने की कोशिश करता था तो वे उसका मजाक उड़ाते थे। वहीं कुछ शरारती लड़के सूतली के सहारे से तार का एक आंकड़ा लटका देते थे और राहगीर की टोपी या कंधे पर गमछे में उस आंकड़े को फंसा देता था। दूसरा लड़का उसे खींच लेता था। परेशान होता हुआ वह राहगीर सिवाय ताकता रह जाता था।