शपथ लेकर इस्तीफा देने वाले पहले मंत्री! टीटी का अब क्या होगा…पदभार संभालेंगे या नहीं? जानें क्या कहता है नियम

राजस्थान में विधायक चुने जाने से पहले मंत्री बनाए गए सुरेंद्र पाल सिंह टीटी श्रीकरणपुर विधानसभा सीट से चुनाव हार गए हैं। हालांकि, अभी तक सुरेंद्रपाल सिंह टीटी ने पदभार ग्रहण नहीं किया है।

Surendra Pal Singh TT

Surendra Pal Singh TT : जयपुर। राजस्थान में विधायक चुने जाने से पहले मंत्री बनाए गए सुरेंद्र पाल सिंह टीटी श्रीकरणपुर विधानसभा सीट से चुनाव हार गए हैं। हालांकि, अभी तक सुरेंद्रपाल सिंह टीटी ने पदभार ग्रहण नहीं किया है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या टीटी पदभार ग्रहण करेंगे या अपना त्याग पत्र देंगे। हालांकि, शीर्ष नेतृत्व ही इस पर फैसला लेगा। लेकिन, यह तो साफ है कि अगर बीजेपी चाहे तो टीटी 6 महीने तक मंत्री रह सकते है।

वैसे तो सबकुछ बीजेपी नेतृत्व के हाथ में है कि वो टीटी को मंत्री पद पर बनाए रखेंगे या फिर पद से इस्तीफा दिलवाएंगी। सियासी जानकारों की मानें तो इस साल लोकसभा चुनाव होने वाले है। ऐसे में बीजेपी की कोशिश होगी कि टीटी का मंत्री पद बरकरार रखा जाएं और आने वाले 6 महीने में किसी सीट से उपचुनाव में उतारकर टीटी की किस्मत का फैसला किया जाएं। अब देखना ये होगा कि शीर्ष नेतृत्व क्या फैसला लेता है?

8 दिन पहले ही मंत्री बने थे टीटी

बता दें कि सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को मंत्री बने हुए अभी 8 दिन ही हुए है। उन्होंने अब तक कार्यभार भी नहीं संभाला है। लेकिन, उससे पहले ही उनको चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। विधायक बने जाने से पहले ही भजनलाल सरकार में टीटी को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया था। उन्हें कृषि विपणन विभाग, कृषि सिंचित क्षेत्र विकास एवं जल उपयोगिता, इंदिरा गांधी नहर विभाग और अल्पसंख्यक मामलात एवं वक्फ विभाग दिया गया था।

आइए जानते हैं क्या हैं नियम

सुरेंद्र पाल सिंह टीटी हार के बाद भी मंत्री बने रह सकते है। क्योंकि इस बारे में कोई कानून नहीं है कि हारने वाला प्रत्याशी मंत्री नहीं बन सकता है। ना ही इसको लेकर पार्टी में कोई नियम है। हालांकि, बीजेपी और टीटी पर मंत्री पद छोड़ने का नैतिक दबाव रहेगा। लेकिन, कानूनन वे 6 महीने तक मंत्री बने रह सकते हैं। लेकिन, इस अवधि के दौरान उन्हें किसी ना किसी सीट पर उपचुनाव में जीत दर्ज करनी होगी और 6 महीने के अंदर अपनी दावेदारी पेश करनी होगी।

भारत के सियासी इतिहास की बात करें तो कई ऐसे उदाहरण हैं, जिनमें चुनाव हारने के बाद भी नेता मंत्री बन गए थे। जिनमें उत्तर प्रदेश में केशव प्रसाद मौर्य का भी नाम शामिल है। हार के बाद भी केशव प्रसाद मौर्य को उप-मुख्यमंत्री बनाया गया था। वहीं, उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी भी खटीमा सीट से चुनाव हारने के बाद मुख्यमंत्री बनाए गए थे। हालांकि, चम्पावत उप चुनाव में धामी ने जीत का परचम लहराया था।

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