‘हवाई सर्वे में नहीं दिखते लोगों के आंसू’..पूनिया बोले- बाढ़ राहत भी महंगाई राहत की तरह खोखली साबित हुई

जयपुर, बाडमेर, जालोर। बिपरजॉय तूफान से प्रभावित क्षेत्रों का जमीनी दौरा करने आज राजस्थान विधानसभा उपनेता प्रतिपक्ष एवं भाजपा पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां दिनभर…

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जयपुर, बाडमेर, जालोर। बिपरजॉय तूफान से प्रभावित क्षेत्रों का जमीनी दौरा करने आज राजस्थान विधानसभा उपनेता प्रतिपक्ष एवं भाजपा पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां दिनभर बाड़मेर और जालोर जिलों के प्रवास पर रहे, जहां उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों का जमीनी दौरा कर बिपरजॉय तूफान से प्रभावित जमीनी हालात की पीड़ित लोगों से मुलाकात कर जानकारी ली।

डॉ. सतीश पूनियां ने बाड़मेर जिले में चौहटन, गंगासरा, बावतलाई और जालोर जिले में वेडिया, सूथडी, खासरवी, सरवाना, सांचौर में बिपरजॉय तूफान से प्रभावित क्षेत्रों का जमीनी दौरा कर मकान, जनहानि और पशुधन के नुकसान की जानकारी ली।

उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि बिपरजॉय तूफान से बाड़मेर, जालौर, पाली, सिरोही, जोधपुर इत्यादि जिलों में कच्चे झोंपड़ों से लेकर मकानों तक कई जगह जनहानि हुई है।

मैंने कल मुख्यमंत्री का ट्वीट देखा, श्रीमान हेलिकॉप्टर में बिराजे थे, आसमान से जमीन की तरफ देख रहे थे। ट्वीट में लिखा था कि मकान डूबे हैं, उम्मीदें नहीं डूबने दूंगा, मैंने उनके ट्वीट पर लिखा कि कांग्रेस शासन में मकान भी डूब गये और अवाम की उम्मीदें भी डूब गईं।

बिपरजॉय तूफान के कारण राजस्थान के विभिन्न अंचलों में बाड़मेर, पाली, जालोर, सिरोही, जोधपुर और अजमेर में जिस तरीके के हालात बने हैं, उससे एक बात तो स्पष्ट हो गई कि क्योंकि जब इस तरीके से कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो लोग कहते हैं कि रामजी की मर्जी है, लेकिन जब लोग निराश होते हैं तो लोग कहते हैं कि रामजी रूठ गये और राज भी रूठ गया।

मुख्यमंत्री ने हवाई सर्वे तो किया] लेकिन उस हवाई सर्वे में बाढ़ में डूबे लोगों के आंसू नहीं दिखे होंगे और जिस तरीके से लीपापोती की, सियासी बयान दिए, उससे बाढ़ राहत भी महंगाई राहत की तरह खोखली साबित हो गई।

यह बात ठीक है कि यह प्राकृतिक आपदा है, पर अब समय विज्ञान और तरक्की का है, पूर्वानुमान बहुत पहले से आ जाते हैं, मेघालय से भी ज्यादा उसके समकक्ष 300 मिलीमीटर से भी ज्यादा बारिश प्रदेश में कई स्थानों पर हुई।

एक अनुमान है कि 10 हजार मकानों से लेकर 50 हजार कच्चे झोंपड़ों से लेकर, मवेशियों से लेकर और तालाब में डूबने से जनहानि हुई है।

अशोक गहलोत ने जो बयान दिये उसमें कहीं लगा ही नहीं कि उनको कोई संवेदना है और ना ही राज्य सरकार ने तत्परता से कोई काम किया। हेलिकॉप्टर का दौरा तो सामान्य रूप से कोई भी कर सकता है, लेकिन क्या उस अंतिम व्यक्ति तक रिलीफ पहुंची है क्या?

जिंदगी मायने रखती है, अशोक गहलोत ने बयान दिया कि लोग जलमग्न इलाकों में जायें नहीं, क्या यह एहतियात बहुत पहले से जारी की थी? आज जो मौसम का सूचना तंत्र है, रिमोट सेंसिंग है, वह इतनी डवलेप हो गई कि उससे पूर्वानुमान आ जाता है।

किसी भी परिस्थिति में कोई भी लोक-कल्याणकारी सरकार लोगों को सुरक्षा का भरोसा देती है, हमारे पड़ोस के राज्य गुजरात की खबरें देख रहा था कि किस तरीके से गुजरात की सरकार ने हवाइजहाज, नावों, हेलिकॉप्टर्स से वहां की पूरी टीमों ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम बहुत पहले ही कर दिया और कोई जनहानि नहीं हुई।

उससे स्पष्ट है कि सरकार-सरकार में भी फर्क है और सोच-सोच में भी फर्क है। राजस्थान जो भौगोलिक रूप से विविधतायें लिया हुआ क्षेत्र है, लेकिन कांग्रेस सरकार में अक्सर ऐसा होता है कि जब सांप निकल जाता है तो लाठी पीटते हैं।

आज डिजास्टर मैनेजमेंट, आपदा प्रबंधन यह जीवनशैली का हिस्सा होना चाहिये, पाठ्यक्रम का हिस्सा भी होना चाहिये और सरकार की मुस्तैदी का भी हिस्सा होना चाहिये।

मौसम के पूर्वानुमान से ऐसा लगता है कि राज्य सरकार ना तो अभ्यस्त है, ना सीख ली और ना मानसिक रूप से इसके लिये तैयार थी और एकदम से जब आपदा आई तो सिस्टम के हाथ-पैर फूले और ऐसे अवसर पर जो लीपापोती है वही हो पाई।

कई जगह से यह जानकारी मिल रही है कि कई-कई दिनों तक पानी है, जिससे बीमारियां फैलने का अंदेशा है, कई लोगों तक भोजन और रसद की डिलीवर नहीं पहुंची है।

जिनके मकान क्षतिग्रस्त हो गये, उनका आकलन होकर रिलीफ नहीं पहुंची है, इससे स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री ने सिर्फ हवाई दौरा किया है, मैंने उनके ट्वीट पर लिखा कि मकान भी डूब गये और अवाम की उम्मीदें भी डूब गईं।

मुझे जो जानकारी मिली है कि भाजपा के कार्यकर्ताओं ने चौहटन, सांचोर, पाली और उसके आस-पास के क्षेत्रों में प्रयास करके लोगों को रिलीफ देने की कोशिश की है।

जो इस पूरे दौरे के दौरान जो चीजें मेरे ध्यान में आएंगी, उस आधार मैं राज्य सरकार को भी कुछ सुझाव दूंगा, लेकिन प्राथमिक तौर पर सुझाव है कि आपदा प्रबंधन को अब जीवन और पाठयक्रम का हिस्सा बनाया जाये, कामकाज और प्रशासन एवं सरकार का हिस्सा बनाया जाये, ताकि भविष्य में जब किसी तरीके की कोई आपदा आती है तो उसके लिये बहुत पहले से हम तैयार हो जायें।

प्रदेश के जल प्लावित क्षेत्रों के लिये खासतौर पर एक अच्छा मैकेनिज्म और अच्छा प्लान बनना चाहिये, जिस पर सरकार को काम करना चाहिये।

मुख्यमंत्री से यह मांग करता हूं कि अच्छा है कि उन्होंने हवाई सर्वे किया है, लेकिन थोड़ा जमीनी सर्वे भी कर लें, सरकारी मशीनरी को ठीक से लगायें और केवल इतना ही नहीं, अभी भी जिन क्षेत्रों में पानी भरा है, जहां से बीमारियों के फैलने का अंदेशा है, जिनके आशियान उजड़ गये, जिनको भोजन और राशन की आवश्यकता है, तत्काल उपाय करें।

क्योंकि मेरी जानकारी में चौहटन से लेकर सांचोर तक अभी तक मुख्यमंत्री की हवाई सर्वेक्षण के अलावा कोई तत्परता मुझे दिखी नहीं है।

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