आदिवासी चेहरा और 30 साल पुराने कांग्रेस के सिपाही, जानें कौन है BJP का दामन थाम रहे महेंद्रजीत मालवीय

Mahendrajeet Singh Malviya: देश में जहां एक तरफ लोकसभा चुनावों को लेकर सियासी हलचल चल रही है वहीं दूसरी ओर देश की सबसे पुरानी राजनीतिक…

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Mahendrajeet Singh Malviya: देश में जहां एक तरफ लोकसभा चुनावों को लेकर सियासी हलचल चल रही है वहीं दूसरी ओर देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस से नेताओं के जाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. हाल में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, मिलिंद देवड़ा, विभाकर शास्त्री ने कांग्रेस छोड़ दी. इसके बाद अब राजस्थान कांग्रेस में भी जबरदस्त हलचल मची हुई है जहां एक साथ कई नेताओं के बीजेपी में जाने की कयासबाजी चल रही है जहां कांग्रेस के बड़े आदिवासी नेता और कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य महेंद्रजीत सिंह मालवीय और कई दिग्गज चेहरों के पार्टी छोड़ने की अटकलें लगाई जा रही है. बताया जा रहा है कि आदिवासी बेल्ट में लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है.

दरअसल मालवीय दक्षिणी राजस्थान से कांग्रेस के बड़े आदिवासी चेहरे हैं और 2023 के विधानसभा चुनाव में वह बागीदौरा से विधायक चुनकर आए हैं. ऐसे में लोकसभा चुनावों से पहले मालवीय के जाने से वागड़ (डूंगरपुर, बांसवाड़ा) में कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है. माना जा रहा है कि बीजेपी डूंगरपुर-बांसवाड़ा से मालवीय को लोकसभा का उम्मीदवार बना सकती है. इसके अलावा कांग्रेस सरकार के कई मंत्रियों के भी बीजेपी में जाने की अटकलें चल रही है.

आदिवासी बेल्ट का बड़ा चेहरा हैं मालवीय

बता दें कि महेंद्रजीत सिंह मालवीय कांग्रेस का बड़ा आदिवासी चेहरा माना जाता है जिनके पास लंबा राजनीतिक अनुभव है और आदिवासी बेल्ट में वह सरपंच से लेकर, प्रधान, विधायक और सांसद का चुनाव लड़े हैं. वहीं मालवीय दक्षिणी राजस्थान ख़ास तौर पर बांसवाड़ा-डूंगरपुर में जनता के बीच काफी फेमस है.

दरअसल मालवीय कांग्रेस से करीब 35 साल से अधिक समय से जुड़े रहे हैं जहां उनका सफर कांग्रेस के छात्र संगठन NSUI से शुरू हुआ था जिसके बाद वह युवा कांग्रेस के सदस्य भी रहे. इससे पहले मालवीय गहलोत की दो सरकारों में मंत्री रहे हैं और बीते दिनों ही कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें कांग्रेस वर्किंग कमेटी का मेंबर बनाया था.

कांग्रेस से क्यों हुआ मालवीय का मोह भंग?

गौरतलब है कि हाल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था जहां कांग्रेस 70 सीटों पर सिमट गई थी. इसके बाद मालवीय के नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने की चर्चा चल रही थी लेकिन आखिरकार टीकाराम जूली का नाम फाइनल हुआ. इसके बाद जानकारी मिली कि मालवीय आदिवासी अंचल से किसी नेता को भी राज्यसभा नहीं भेजे जाने निराश थे.

वहीं इसके बाद उनके मन में मलाल था कि कांग्रेस आलाकमान से उनको मिलने का समय नहीं मिला हालांकि वो सीडब्ल्यूसी सदस्य की हैसियत से मिलना चाहते थे. बता दें कि मालवीय ने कई दिनों से दिल्ली में डेरा डाल रखा था जहां केसी वेणुगोपाल ने उनको मिलने का समय दिया लेकिन बमुश्किल दो-तीन मिनट तक ही मुलाकात हुई. इधर मालवीय लगातार कुछ दिनों से बीजेपी के थिंक टैंक के संपर्क में थे.