Modi vs Gehlot : राजस्थान के इन 3 मुद्दों पर केंद्र और प्रदेश सरकार के बीच टकराव के हालात, क्या निकल पाएगा कोई हल?

राजस्थान में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पेंशन और पानी के बाद अब रिफाइनरी को लेकर केंद्र और प्रदेश सरकार के बीच रार बढ़ गई है।

Modi vs Gehlot

जयपुर। राजस्थान में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पेंशन और पानी के बाद अब रिफाइनरी को लेकर केंद्र और प्रदेश सरकार के बीच रार बढ़ गई है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीपसिंह पुरी ने गहलोत सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि राजस्थान हमें 2500 करोड़ बकाया दें, नहीं तो लागत टेक ओवर करेंगे। अगर ऐसा होता है तो राजस्थान की रिफाइनरी में हिस्सेदारी 26 से घटकर 16 प्रतिशत ही रह जाएगी।

वहीं, मुख्यमंत्री अशोक ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि राजस्थान में बीजेपी की सरकार बनते ही हमारी पचपदरा में शुरू किए गए रिफाइनरी प्रोजेक्ट को बंद करवा दिया गया। लेकिन, सरकार बदलती है तो हम उसने काम को बंद नहीं करते है। अब रिफाइनरी प्रोजेक्ट की लागत करीब 30 हजार करोड़ रुपए बढ़ चुकी है यानी इसका अब कुल खर्चा 70 हजार करोड़ रुपए हो चुका है। लेकिन, अब ये प्रोजेक्ट बंद नही होगा, क्योंकि हम इसमें पैसा लगाएंगे।

रिफाइनरी के मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप

केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी मंगलवार को बाड़मेर जिले के पचपदरा में निर्माणाधीन एशिया की दूसरी सबसे बड़ी रिफाइनरी का दौरा किया। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने गहलोत सरकार पर रिफाइनरी निर्माण में अपने हिस्से का पैसा नहीं देने का आरोप लगाया। मीडिया से चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री पुरी ने कहा कि राज्य सरकार पर 2500 करोड़ बकाया है, लेकिन वो रिफाइनरी निर्माण में अपने हिस्से का पैसा नहीं दे रही है। अगर पैसा नही मिला तो राजस्थान सरकार की हिस्सेदारी 26 से घटाकर 16 फीसदी कर देंगे। जिसके जवाब में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि जो प्रोजेक्ट 40 हजार करोड़ का था, वो अब 70 हजार करोड़ का हो गया। साथ ही बीजेपी सररकार पर गंभीर आरोप भी लगाए। जयपुर जिले में किशनगढ़-रेनवाल के रघुनंदपुरा में आयोजित मूर्ति अनावरण समारोह में सीएम गहलोत ने कहा कि सरकार बदलती है तो हम उसके काम बंद नहीं करते। लेकिन, बीजेपी राज में हमारे काम बंद कर दिए जाते है। बीजेपी सरकार ने रिफाइनरी को बंद कर दिया। जिसका परिणाम है कि 5 साल में 30 हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त लगेंगे। जो 40 हजार करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट था, वह अब 70 हजार करोड़ रुपए का हो गया है।

13 जिलों की प्यास बुझाने वाला ERCP प्रोजेक्ट भी अटका

बता दें कि केंद्र और राज्य सरकार के बीच ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ERCP) को लेकर भी टकराव चल रहा है। जिसके चलते 13 जिलों की प्यास बुझाने वाला ERCP प्रोजेक्ट अटका हुआ है। गहलोत सरकार लगतार मोदी सरकार से इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग कर रही है। वहीं, केंद्र सरकार चाहती है कि राजस्थान सरकार ईआरसीपी प्रोजेक्ट अपने हक के पानी की संसोधित डीपीआर बनाकर भेजे। लेकिन, अब भी तक ऐसा नहीं हो पाया है। बता दें कि ERCP प्रोजेक्ट के लिए गहलोत सरकार ने पहले बजट में 13000 करोड़ रुपए और अब 9600 करोड़ रुपए दिए है। हालांकि, अभी तक यह प्रोजेक्ट अटका हुआ है।

OPS को लेकर भी केंद्र और राज्य सरकार आमने-सामने

ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लेकर भी केंद्र की मोदी सरकार और गहलोत सरकार आमने-सामने है। गहलोत सरकार ने 2022 में राज्य कर्मचारियों के लिए ओपीएस का ऐलान किया था। लेकिन, केंद्र सरकार ओपीएस को लेकर सवाल खड़े कर रही है। हाल ही में जयपुर दौरे पर आई केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि मौजूदा नियमों के तहत नई पेंशन योजना (एनपीएस) में जमा पैसा राज्य सरकारों को वापस नहीं मिल सकता। वहीं, गहलोत सरकार का कहना है कि केंद्र ने एनपीएस के तहत जमा पैसा राज्य को नहीं लौटाया तो राज्य सरकार अदालत का दरवाजा खटखटाएगी। केंद्र और राज्य के टकराव के चलते राजस्थान में बोर्ड-निगम समेत करीब 6 लाख कर्मचारियों की पेंशन का मामला अटका हुआ है।

क्या निकल पाएगा कोई हल?

ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ERCP), ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) और पचपदरा रिफाइनी प्रोजेक्ट को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के नेता लगातार एक-दूसरे को गलत ठहराने में लगे हुए है। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या इन 3 मुद्दों का कोई ठोस हल निकल पाएगा या नहीं।

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