बुलंदी छूने की चाहत के बीच खुद ही बन रहे जान के दुश्मन, कोटा में स्टूडेंट्स के सुसाइड का जिम्मेदार कौन?

गौरतलब है कि कोटा में प्रदेश सहित अन्य राज्यों के करीब 2.5 लाख विद्यार्थी मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग करते हैं लेकिन कई कारणों से तनाव में आकर स्टूडेंट्स आत्महत्या कर लेते हैं। 

Kota Students Suicide

(श्रवण भाटी) : जयपुर। एजुकेशन हब कोटा में स्टूडेंट्स के सुसाइड के मामले थमने के नाम नहीं ले रहे हैं। सोमवार को कोटा में एक और स्टूडेंट ने आत्महत्या कर कर ली। मृतक छात्र का नाम फोरिद हुसैन है। पश्चिम बंगाल का रहने वाला फोरिद कोटा में रहकर नीट परीक्षा की तैयारी कर रहा था। कोटा में पिछले आठ महीने में 26 स्टूडेंट्स आत्महत्या कर चुके हैं। वहीं इससे पहले के सुसाइड के आकड़े देखें तो वह भी चिंताजनक है। 

इधर सुसाइड रोकने के लिए प्रशासन की ओर से उठाए गए कदम एक बार फिर बौने साबित हुए हैं। प्रशासन हर बार की तरह लकीर पीटता नजर आ रहा है। गौरतलब है कि कोटा में प्रदेश सहित अन्य राज्यों के करीब 2.5 लाख विद्यार्थी मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग करते हैं लेकिन कई कारणों से तनाव में आकर स्टूडेंट्स आत्महत्या कर लेते हैं। 

कुछ सपनों के पूरा नहीं होने पर समाज और परिवार के दबाव और तनाव के कारण स्टूडेंट्स लगातार सुसाइड कर रहे हैं। इसको लेकर प्रशासन और सरकार कोचिंग संचालकों के सामने विफल साबित हो रही हैं। पिछले आठ महीने में इतने सुसाइड के बाद भी एक भी कोचिंग पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

ड्राफ्ट तैयार, लेकिन नहीं बनी नीति 

सरकार को कोचिंग इंस्टीट्यूट के संचालन को लेकर फरवरी में एक नियम का ड्राफ्ट तैयार किया गया था, लेकिन अभी तक कोचिंग सचालको और संचालन को लेकर कोई नियम नहीं बने। शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने कोटा में हुए सुसाइड को लेकर कहा था कि स्टूडेंट्स की काउंसलिंग होनी चाहिए। प्रदेश में कोचिंग संचालक को लेकर एक नीति बनाने की भी तैयारियां की गई थी लेकिन अभी तक कोई प्रभावशाली फै सला नहीं लिया गया हैं।

एक महीने पहले शुरू हुए साप्ताहिक टेस्ट 

सुसाइड के बढ़ते मामले को लेकर अगस्त में तत्कालीन जिला कलेक्टर ने एक पत्र जारी कर कोटा में संचालित सभी कोचिंग संस्थानों पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर आगामी 2 महीने तक कोचिंग में होने वाले टेस्ट-परीक्षाओं पर रोक लगाई गई थी। वहीं कोटा में स्टूडेंट्स थाना खोलने को लेकर सरकार को प्रस्ताव भेजने का भी फै सला लिया गया था। उसके दो महीने बाद ही जिला कलेक्टर ने आदेश जारी कर साप्ताहिक टेस्ट शुरू करने के आदेश दे दिए।

गौरतलब है कि लगातार पढ़ाई के स्टेट्स और रविवार को हो रहे साप्ताहिक टेस्ट के बाद सुसाइड की घटना बढ़ रही थी। इसके बाद साप्ताहिक टेस्ट पर रोक लगा दी गई थी और रविवार को अवकाश देने का निचिश्त किया गया था। साप्ताहिक टेस्ट शुरू होने के एक महीने बाद ही फिर से सोमवार को एक स्टूडेंट ने आत्महत्या कर ली।

…जयपुर को ना लगे किसी की नजर 

शिक्षा नगरी कोटा के बाद राजधानी जयपुर में भी लाखों स्टूडेंट्स प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। वहीं पिछले दो वर्षों में जयपुर में इंजीनियरिंग और नीट की तैयारी करवाने वाले संस्थानो में काफी इजाफा हुआ है। वहीं नामी कोचिंग संस्थानों के भी ब्रांचे शुरू हो गई है और उनमे पढ़ने वाले स्टूडेंस्ट की संख्या भी लाखों में पहुंच गई हैं। ऐसे में जयपुर में अभी तक किसी भी स्टूडेंट्स ने कोई आत्महत्या नहीं की। अब राजधानी के स्टूडेंट को किसी की नजर न लगे।