Alwar : जिसको मरा समझ भूल गए थे… वह 33 साल बाद घर लौटा

एक परिवार का मुखिया 33 साल पहले अचानक से गायब हो गया। काफी तलाश की और हर जगह ढूंढा, लेकिन उसका कहीं कुछ पता नहीं चला।

Bansur News | Sach Bedhadak

अलवर। एक परिवार का मुखिया 33 साल पहले अचानक से गायब हो गया। काफी तलाश की और हर जगह ढूंढा, लेकिन उसका कहीं कुछ पता नहीं चला। आखिरकार थक-हार कर परिजनों ने उसकी मृत्युहोने की संभावना मन में बना ली। यहां तक कि पिछले साल परिजनों ने उस व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र भी बनवा लिया। इसके बाद अचानक से ऐसा कुछ हुआ, जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी। परिवार का मुखिया 33 साल बाद अपने घर पहुंचा तो घरवालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। यह कहानी है अलवर जिले के बानसूर कस्बे के निवासी हनुमान सैनी (Hanuman Saini) की। वे जब घर से गायब हुए तब उनकी उम्र 42 साल थी और अब 75 साल की उम्र में वे वापस घर लौटे हैं।

जानकारी के अनुसार, साल 1989 में बानसूर के रहने वाले हनुमान सैनी घर सेदिल्ली खारी बावली में काम करते समय अचानक गायब हो गए थे। परिजनों ने उनको काफी जगह तलाश किया था। करीब 32 साल इंतजार करने के बाद जब वह नहीं मिले तो परिजन ने पिछले साल ही उन्हें मृत समझकर उनका मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाया था।

करीब 33 साल बाद परिवार के लोगों ने जब हनुमान सैनी को जिंदा देखा तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उनके जीवित होने व वापस लौटने की जानकारी मिलने के बाद बड़ी संख्या में नाते- रिश्तेदार उनका हाल-चाल पूछने के लिए उनके घर पहुंच रहेहैं। बता दें कि 75 वर्षीय हनुमान सैनी के तीन लड़की समेत 5 संतानें हैं और सभी की शादी हो चुकी है।

लोगों से रास्ता पूछते हुए पहुंचे घर

हनुमान सैनी के बड़े बेटे रामचंद्र सैनी ने बताया कि साल 1989 में उनके पिता दिल्ली के खारी बावली की एक दुकान पर काम किया करते थे। उस समय उनके पिता की उम्र करीब 42 साल थी। उसी दौरान वो अचानक से हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित माता मंदिर पहुंच गए और जहां उन्होंने आराधना-तपस्या की। करीब 33 साल की तपस्या के बाद माता के आदेश पर उन्होंने घर वापसी की है। 29 मई को हनुमान सैनी ट्रेन से दिल्ली से खैरथल पहुंचे, जहां से बानसूर के लिए कोई वाहन नहीं मिलने पर रात में ही पैदल चलकर ततारपुर चौराहा तक पहुंचे। उसके बाद सुबह किसी वाहन से बानसूर के स्वास्तिया हनुमान मंदिर तक पहुंचे। यहां से वे लोगों से अपने घर का रास्ता पूछ-पूछकर घर पहुंचे।

जिससे मदद मांगी, उसने पहचान लिया

अपने घर आने के दौरान हनुमान सैनी ने बानसूर में जिस व्यक्ति से मदद मांगी उसने उन्हें पहचान लिया और घर तक पहुंचा दिया। 33 साल बाद हनुमान सैनी को जीवित देखकर परिजन अचंभित हो गए और घर में खुशी का माहौल छा गया। हनुमान सैनी के जीवित होने की खबर जब उनकी बहन-बेटियों को पता चली तो उन्होंने भी ससुराल से आकर अपने पिता-भाई का हाल चाल जाना। 

छोड़ दी थी आस 

बड़े बेटे रामचंद्र सैनी ने बताया कि पिता के जीवित होनी की आस छोड़ दी थी। फिर हमने साल 2022 में कोर्ट की मदद से अपने पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाया। क्योंकि जमीन से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। मृत्यु प्रमाण पत्र कोर्ट के जरिये बनवाया था। पिताजी के घर वापस आने पर सभी परिवारजनों में बहुत ही खुशी का माहौल है।

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