Jaipur : सरकार की बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ रेजिडेंट्स डॉक्टर्स का प्रदर्शन, रूटीन कार्य बहिष्कार का ऐलान

Jaipur : जयपुर में SMS मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंट्स डॉक्टरों ने आज फिर कार्य बहिष्कार कर दिया। उन्होंने आज  SMS मेडिकल कॉलेज से त्रिमूर्ति सर्किल…

सरकार की बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ रेजिडेंट्स डॉक्टर्स का प्रदर्शन, रूटीन कार्य बहिष्कार का ऐलान

Jaipur : जयपुर में SMS मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंट्स डॉक्टरों ने आज फिर कार्य बहिष्कार कर दिया। उन्होंने आज  SMS मेडिकल कॉलेज से त्रिमूर्ति सर्किल तक विशाल रैली निकाली। जयपुर एसोशिएशन ऑफ रेजिडेंट्स डॉक्टर्स यानी जॉर्ड के आद्वान पर यह आंदोलन हो रहा है। कुछ दिन पहले भी इन रेजिडेंट्स डॉक्टर्स ने संकेतात्मक धरना प्रदर्शन किया था। साथ ही इन्होंने सुबह 2 घंटे कर कार्य बहिष्कार किया था। लेकिन इसके बाद भी डॉक्टर्स का कहना है कि उनकी मांगे नहीं मानी गई न ही मुख्यमंत्री से कोई बात हुई। इसलिए इन्होंने आज रूटीन कार्य बहिष्कार का ऐलान किया है।

क्या है मांगे

दरअसल रेजिडेंट डॉक्टर्स प्रदेश की बॉन्ड पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह पॉलिसी डॉक्टर्स और मरीजों दोनों के हित में नहीं है। यह सरकार का जल्दबाजी मे लिया गया फैसला है। इसमें कई तरह के सुधार की जरूरत है। डॉक्टर्स का कहना है कि सरकार के बॉन्ड विज्ञप्ति निकाले जाने के बाद भी प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में बिना किसी पारदर्शी प्रक्रिया के यहां के अभ्यर्थि एसआर के पदों पर नियुक्त हो जाते हैं। डॉक्टर्स की मांग है कि इस बॉन्ड नीति में सर्विस रेजिटेंड डॉक्टर्स को भी समान रूप से अवसर देने के लिए मांग की है। साथ ही बॉन्ड पॉलिसी में तमाम खामियों को दूर करने के लिए एक विशेष कमेटी बनाई जाए।

क्या है बॉन्ड पॉलिसी

दरअसल इस नीति के तहत राजस्थान के मेडिकल कॉलेजों के पोस्ट ग्रेजुएट, सुपरस्पेशिलिटी कोर्स बाद डॉक्टर्स सिर्फ दो साल की ही सरकारी सेवा कर सकते हैं। पहले यह सेवा 5 साल की थी। इसमें प्रावधान यह भी था कि या तो वे, सरकारी अस्पतालों में अपनी सेवाएं देंगे या फिर वे 25 लाख रुपए का बॉन्ड भरेंगे।

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मरीज भुगत रहे हैं परेशानी

इस बहिष्कार से डॉक्टर्स ने आइसीयू और इमरजेंसी सेवाओं को बाहर रखा हैं। रेजिडेंट डॉक्टर्स का कहना है कि कोशिश कर रहे है कि गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को परेशानी नहीं हो। लेकिन सरकार हमारी नहीं सुन रही हैं,वह भी ऐसे में जब जार्ड का प्रतिनिधि मंडल खुद सरकार के दरवाजे अपनी बात कहने के लिए खटखटा रहे हैं। लेकिन हमारी बात तक नहीं सुनी जा रही हैं। इसलिए मजबूरी में सांकेतिक विरोध किया हैं। जार्ड के ​अध्यक्ष डॉ.नीरज डामोर ने बताया कि हमारी बात नहीं सुनी गई तो आगे के आंदोलन की रणनीति तय की हैं। रेजिडेंट अब आंदोलन को लेकर ओर भी सख्त कदम उठाएंगे जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी। 

मरीजों की बढ़ी परेशानी शिक्षकों ने संभाली कमान

एसएमएस मेडिकल कॉलेज व इससे जुड़े अस्पतालों में वार्ड में भर्ती मरीजों व ओपीडी में चेकअप करवाने आने वाले मरीजों को देखने की व्यवस्थाएं रेजिडेंट डॉक्टर्स के हाथ में हैं। ऐसे में रेजिडेंट के हड़ताल पर जाने पर एसएमएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल प्रशासन ने वरिष्ठ डॉक्टरों को काम संभालने के निर्देश दिए है। एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ राजीव बगरहट्टा ने बताया कि अस्पतालों में ओपीडी और आईपीडी के लिए आचार्य , सह आचार्य, सहायक आचार्य और मेडिकल ऑफिसर को लगाया गया है। ताकि मरीजों को परेशानी नहीं हो। लेकिन इनकी संख्या पर्याप्त नहीं होने पर मरीजों को परेशानी उठानी पड़ रही है।

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