करौली के पत्थरों से बनी अजमेर में सोनी जी की नसियां, इसे बनाने में लगे थे 25 साल 

अजमेर। सोनी जी की नसियां, राजस्थान के अजमेर में स्थित एक जैन मंदिर है। करौली के लाल पत्थरों से बना यह खूबसूरत दिगंबर मंदिर जैन…

soni ji ki nasiyan in Ajmer made of Karauli stones

अजमेर। सोनी जी की नसियां, राजस्थान के अजमेर में स्थित एक जैन मंदिर है। करौली के लाल पत्थरों से बना यह खूबसूरत दिगंबर मंदिर जैन तीर्थंकर आदिनाथ का मंदिर है। यह मंदिर 1864-1865 ईस्वी का बना हुआ है। इसे बनाने में 25 वर्ष का लंबा समय लगा था। इसके निर्माण में जयपुर के कारीगरों का भी योगदान रहा। लाल (Soni ji ki nasiyan) पत्थरों से बना होने के कारण इसे ‘लाल मंदिर’ भी कहा जाता है। इसमें एक स्वर्ण नगरी भी है, जिसमें जैन धर्म से सम्बंधित पौराणिक दृश्य, अयोध्या नगरी, प्रयागराज के दृश्य विराट रूप से दिखाए गए हैं। 

आगरा गेट अजमेर में स्थित यह मंदिर जगत विख्यात है। यह सेठ मूलचन्द सोनी के द्वारा बनवाया गया। इसके मुख्य कक्ष को ‘स्वर्ण नगरी’ (सोने का नगर) कहा जाता है। इस कक्ष में सोने से परिरक्षित लकड़ी की अनेक रचनाएं हैं, जिसमें जैन धर्म से सम्बंधित चित्रण है। इसी कक्ष में अयोध्या का भव्य चित्रण है, जिसमें एक हजार किलो सोने का उपयोग हुआ है। अयोध्या नगरी में सुमेरु पर्वत का निर्माण जयपुर के कारीगरों के द्वारा किया गया था। यह स्वर्ण नगरी अपनी बारीक कारीगरी और पच्चीकारी केलिए प्रसिद्ध है। 

स्वर्ण से बना है नसियां का दूसरा भाग 

जिसके कारण यह नसियां प्रसिद्ध है, जिसमें भगवान आदिनाथ के गर्भ कल्याणक, जन्म कल्याणक, तप कल्याणक, केवल ज्ञानकल्याणक, मोक्ष कल्याणक को दर्शाया गया है। यह सभी स्वर्ण से बना हुआ है, जो कि बड़ा ही मनमोहक है। इस भाग की वास्तुकला अद्वितीय है। अजमेर की सोनीजी की नसियां में भादवे की पूर्णिमा पर अनोखा अभिषेक होता है। इसमें स्वर्ण, रजत, माणक-पन्ने, स्फटिक और अन्य धातुओं से निर्मित प्रतिमाएं शामिल होती हैं। आम दिनों में इनके दर्शन नहीं किए जा सकते। सालभर ये प्रतिमाएं अदृश्य व सुरक्षित रखी जाती हैं। 

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ये प्रतिमाएं अपनी बनावट में भी भव्य हैं। यह सिद्धकूट चैत्यालय है। इस नसियां को हर व्यक्ति को जीवन में एक बार देखना ही चाहिए। नसियां के इस भाग को देखने जाते समय आपको समय का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यह भाग अभी वर्तमान में प्रातः 8.30 बजे से शाम 4.30 बजे तक ही खुलता है। इस भाग को देखने में लगभग 30 मिनट का समय आपके पास होना चाहिए। शहर के मध्य में स्थित यह जैन मंदिर देश की शान है और बहुत ही अद्भुत है, जरूर देखना चाहिए।

मूल प्रतिमा ऋषभ देव भगवान की 

यह नसियां दो भाग में विभाजित है। एक भाग में मन्दिर बना हुआ है। नसियां के मूल मन्दिर में मूल प्रतिमा श्री 1008 ऋषभ देव भगवान की है तथा मन्दिर करौली के लाल पत्थर से बनाया गया है। इस मन्दिर को लाल मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है। मन्दिर में 82 फुट ऊंचा बहुत ही कलात्मक और सुंदर मानस्तम्भ भी बना हुआ है। मन्दिर के इस भाग में वर्तमान में केवल जैन धर्मावलंबियों को प्रवेश दिया जाता है।

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