Rajasthan Election 2023: हवा का रुख भांप पार्टियां बदल सत्ता सुख लेते रहे हैं बाड़मेर के नेता

Rajasthan Election 2023: राजस्थान के ऐसे नेता है जो हवा रुख भांपते हुए पार्टियां बदलकर सत्ता सुख लेते रहे हैं।

karnal sonaram | Sach Bedhadak

Rajasthan Election 2023: भाजपा ने राजस्थान के पड़ौसी राज्य मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में जब सांसदों और केन्द्रीय मंत्रियों को टिकट थमाया तो बवाल मच गया। इसकी प्रतिक्रिया में राजस्थान में इस रणनीति को सीमित दायरे में रखा गया। लेकिन पाकिस्तान की अन्तरराष्ट्रीय सीमा से लगे बाड़‌मेर-जैसलमेर संसदीय क्षेत्र के जनप्रतिनिधि प्रथम आम चुनाव से लेकर अब तक बड़े सहज भाव से दिल्ली-जयपुर की चुनावी गाड़ी में सवार होते आ रहे हैं। ताजा तरीन उदाहरण कर्नल सोनाराम चौधरी का है। चार पारी में सांसद रहे सोनाराम अब दूसरी बार विधायक बनने की गरज से बाड़‌मेर के गुड़ामालानी क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे हैं।

कर्नल सोनाराम के फौजी से सांसद-विधायक बनने की दिलचस्प कहानी आगे सुनेंगे। दूसरे जनप्रतिनिधि मानवेन्द्र सिंह भी सांसद की एक पारी खेल चुके हैं। पेशे से पत्रकार रहे मानवेन्द्र सिंह दूसरी बार विधायक बनने की जुगत में हैं। हरीश चौधरी के साथ-साथ दिवंगत तन सिंह और वृद्धिचंद जैन ने भी लोकसभा एवं विधानसभा में अपना स्थान बनाया। -क्रमश

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चार बार सांसद, एक बार विधायक रहे, फिर दौड़ में

पहला किस्सा कर्नल सोनाराम चौधरी का। जैसलमेर के मोहनगढ़, निवासी सोनाराम की संसदीय क्षेत्र में सार्वजनिक पहचान बनाने में एडवोके ट डालूराम चौधरी की काफी मदद रही। डालूराम एलएलाबी की पढ़ाई में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सहपाठी रहे हैं। सार्वजनिक कार्यक्रमों की एलबम ने अपना जादू दिखाया। तत्कालीन कांग्रेस नेता चन्द्रराज सिंघवी ने अपने राजनीतिक आका खांटी किसान नेता नाथूराम मिर्धा से इंजीनियर फौजी सोनाराम की मुलाकात कराई। एलबम देख मिर्धा ने जाट समु‌दाय के इस युवा को 1996 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीवी नरसिंह राव के माध्यम से टिकट दिलाया। बाडमेर क्षेत्र से लगातार तीन चुनाव जीते सोनाराम 2008 में कांग्रेस टिकट पर विधायक बने।

बाड़मेर में नेहरू युवा संगठन के प्राण रहे पद्मश्री से सम्मानित मगराज जैन के सुपुत्र भुवनेश जैन ने यह कहानी सुनाई। यह बात दीगर है कि बाद में सोनाराम ने अपने मददगार डालूराम चौधरी से नाता तोड़ लिया और वह मगराज जी के घर आकर जार जार रोए। राजनेता बने कर्नल सोनाराम चौधरी ने वर्ष 2008 में कांग्रेस विधायक बनने पर अपने को मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल होने का सपना भी देखा। वह 2013 में बायतू से हार गए। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में राजनीतिक हालात बदल गए। पाला बदलकर कर्नल सोनाराम भाजपा प्रत्याशी बने और भाजपा के दिग्गज नेता जसवंत सिंह निर्दलीय उम्मीदवार थे। कर्नल और मेजर की चुनावी जंग में सोनाराम ने 87 हजार 461 मतों से जीत दर्ज की।

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भाजपा से बने सांसद-विधायक, कांग्रेस ने नहीं मिली जीत

बात भाजपा के दिग्गज जसवंत सिंह के पुत्र मानवेन्द्र सिंह की। उन्होंने पत्रकारिता के साथ राजनीति में कदम रखा। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बाड़मेर क्षेत्र से कांग्रेस के कर्नल सोनाराम को 2 लाख 71 हजार 888 मतों के भारी अंतर से पराजित कर पिछले चुनाव की हार का बदला ले लिया। इस बार मानवेन्द्र सिंट को 6 लाख 37 हजार 851 वोट तथा कर्नल सोनाराम को 3 लाख 59 हजार 963 मत मिले। वर्ष 1999 के चुनाव में वह सोनाराम से के वल 32 हजार 140 वोटों से परास्त हुए।

लोकसभा के तीसरे चुनाव में वर्ष 2009 में वह कांग्रेस के हरीश चौधरी से एक लाख 19 हजार 106 मतों के अंतर से पराजित हुए। वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव उनके पिता- जसवंत सिंह ने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी लड़ा लेकिन पराजित हो गए। इस चुनाव में कर्नल सोनाराम के साथ हरीश चौधरी से भी उनका त्रिकोणात्मक मुकाबला था। लोकसभा चुनाव की पारी खेलने के पश्चात मानवेन्द्र सिंह ने विधानसभा चुनाव की पिच पर बल्लेबाजी की। वह शिव विधानसभा क्षेत्र में 2013 के चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज अमीन खां को 31 हजार 425 मतों के अंतर से पराजित करने में सफल रहे।