Hippopotamus: हीरा चमकाने में काम आता है दरियाई घोड़ा, अपनी प्रजाति के जीव को भी खा जाता है यह जानवर 

Hippopotamus: आपने अपने आस-पास कई जानवर देखें होंगे। इन्हीं में घोड़ा भी शामिल है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक घोड़ा ऐसा भी जो…

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Hippopotamus: आपने अपने आस-पास कई जानवर देखें होंगे। इन्हीं में घोड़ा भी शामिल है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक घोड़ा ऐसा भी जो पानी में चल सकता है तथा वह पानी में ही रहता है। इस जानवर का नाम है दरियाई घोड़ा। यह साधारण घोड़े से बिल्कुल अलग होता है। पानी में रहने के कारण इसे जलीय घोड़ा भी कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे हिप्पोपोटामस या हिप्पो कहते हैं।

यह जानवर इतना खतरनाक है कि कई मनुष्य इनका शिकार हुए हैं। इनके खतरनाक दांत बड़े से बड़े जानवर जैसे- हिरण व हाथी के शावक से लेकर जिंदा इंसान को भी शिकार बना लेते हैं। यह शाकाहारी जीव है, लेकिन सुखे व अकाल की स्थिति में ये आक्रामक हो जाते हैं। फलस्वरूप ये मांस का सेवन करने के लिए अन्य जीवों के मारने लगते हैं। इनकी प्रजाति दक्षिण अफ़्रीका से लेकर युगांडा तक पाई जाती है। 

दूसरा सबसे वजनी जानवर

दरियाई घोड़े का वजन करीब तीन हजार किलो होता है। इसलिए इसे विश्व का दूसरा सबसे वजनी स्थलजीवी कहा जाता है। यह आकार में 14 फुट लंबा, 5 फुट ऊंचा तथा 4 टन भारी होता है। लेकिन इसके पैर बहुत छोटे होते हैं, इसलिए इसे ठिगने जानवर के रूप में भी जाना जाता है। इनकी चमड़ी सख्त होती है, चमड़ी के नीचे चर्बी की एक मोटी परत पाई जाती है। इनकी चमड़ी सदैव गीली और स्वस्थ रहती है।

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इस जानवर को आक्रामता के लिए जाना जाता है। पैदा होने से छह वर्ष बाद इनकी चमड़ी चट्टान की तरह मजबूत हो जाती है, जो बाद में हीरा चमकाने में काम में आती है। यह घास पर रहकर जिंदा रहते हैं। यह एक रात में करीब 40 किलो खाना तक पचा सकते हैं। यह मीठे जल की नदियों एवं झीलों के किनारे रहता है। इसे झुंड में रहना अधिक पसन्द है।  इनके शरीर पर बाल तो बहुत कम होते हैं, लेकिन पूंछ, होंठों व कान के आसपास बाल पाए जाते हैं।

हिप्पो के बारे में   

दरियाई घोड़ा एक स्तनपायी प्राणी है, जिसका मूल स्थान अफ्रीका है। यह जल में रहने वाला विशाल और गोलमटोल जानवर है। जिसके हिप्पोपोटामस शब्द का अर्थ वाटर होर्स यानी जल मे रहने वाला घोड़ा होता है। हालांकि इस जानवर का संबंध किसी भी प्रकार से साधारण घोड़े से नहीं है। जबकि इसका संबंध सुअर से माना जाता है। प्राणिविज्ञान के मुताबिक दरियाई घोड़ा शाकाहारी प्राणी है, लेकिन कुछ वैज्ञानिकों ने इसके बारे में हैरान कर देने वाले तथ्य दिए। उन्होंने पाया कि यह जानवर मांसाहारी भी है, बल्कि एक खोजकर्ता ने इसे अपनी ही प्रजाति के जीव का मांस खाते हुए पाया। इसका मुंह पांच फीट तक खुल जाता है।   

व्हेल प्रजाति से है संबंध 

हिप्पो का संबंध व्हेल प्रजाति से माना जाता है। इसके पसीने में बैक्टीरियारोधी सनस्क्रीन द्रव होता है। इस कारण इनका पसीना रक्त की तरह लाल होता है। यह 30.5 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चल सकता है। दरियाई घोड़े वर्तमान में विलुप्ती की कगार पर है। इनके पैरों के नाखून चौड़े, आंखें सपाट और कान छोटे होते हैं।

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