भद्रा ने बिगाड़ी होलिका दहन की गणित, इस बार देश में 2 दिन जलेगी होली 

जयपुर। फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा पर मनाए जाने वाला होलिका दहन पर्व इस बार दो दिन मनाया जाएगा। देश के अधिकांश हिस्सों में जहां 6 मार्च…

Bhadra spoiled the maths of Holika Dahan, this time Holi will burn for 2 days in the country

जयपुर। फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा पर मनाए जाने वाला होलिका दहन पर्व इस बार दो दिन मनाया जाएगा। देश के अधिकांश हिस्सों में जहां 6 मार्च को होलिका दहन होगा, वहीं पूर्वी राज्यों में 7 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा। ऐसा इस बार पृथ्वी लोक की भद्रा के चलत हो रहा है। जतिषियों के अनुसार होलिका दहन का धर्मसिंधु एवं अन्य शास्त्रों में जो विधान बताया है उसके अनुसार फाल्गुन शुक्ल की प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा के दिन भद्रा रहित काल में किए जाने का है। 

इस बार फाल्गुन पूर्णिमा 6 मार्च सोमवार को दोपहर 4:18 से शुरू होगी, जो 7 मार्च मंगलवार को शाम 6:18 बज तक रहेगी। ऐसे में प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा 6 मार्च को रहेगी। वहीं पूर्वी भारत के कुछ राज्यों में पूर्णिमा दो दिन प्रदोष व्यापिनी रहेगी। ज्योतिषि मर्मज्ञ पं. केदारनाथ दाधीच ने बताया कि 6 मार्च को ही दोपहर 4:18 से भद्रा शुरू हो जाएगा जो 7 मार्च को शाम 5.14 बजे तक रहेगी। उन्होंने बताया कि भद्रा की इस अवस्था को देखते हुए होलिका दहन के लिए कुछ नियम बताए गए हैं।

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इनके अनुसार यदि भद्रा मध्यरात्रि से आगे सुबह तक चली जाए और भद्रा पुच्छकाल भी मध्यरात्रि से आगे चला जाए तो होलिका दहन प्रदोषकाल व्यापिनी पूर्णिमा के दौरान भद्रा में ही कर लेना चाहिए। इसी प्रकार एक अन्य नियम के अनुसार यदि पहले दिन प्रदोषकाल में भद्रा हो तथा दूसरे दिन पूर्णिमा प्रदोषकाल तक नहीं हो तथा दूसरे दिन पूर्णिमा साढ़े तीन प्रहर या इससे अधिक समय तक हो, तब अगले दिन प्रदोष काल में होलिका दहन करना चाहिए। 

जहां सूर्यास्त 6:10 से पहले, वहां 7 को होलिका दहन 

भारत के पूर्वी राज्य एवं नगर जिनमें सूर्यास्त 7 मार्च को 6:10 बजे से पहले होगा वहां पूर्णिमा दो दिन प्रदोष व्यापिनी रहेगी। वहां 7 मार्च को होलिका दहन प्रदोषकाल में किया जाएगा। क्योंकि पहले दिन पूर्णिमा भद्रा से दुषित रहेगी। भारत के पूर्वी राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम आदि राज्यों में 7 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा।

इसलिए भद्रा में ही करना होगा होलिका दहन 

पं. केदारनाथ दाधीच ने बताया कि 7 मार्च को पूर्णिमा साढ़े तीन प्रहर से अधिक की हो गई है। लेकिन इससे आगे प्रतिपदा तिथि का काल पूर्णिमा से कम है। इससे यह हृासगामिनी हो गई है। इसलिए होलिका दहन 6 मार्च को ही गोधूली बेला (सूर्यास्त बाद) में भद्रा के दौरान ही करना श्रेष्ठ रहेगा। 

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