नासा के सपने को झटका, चांद पर आ रहे भूकं प और भूस्खलन!

चांद से पूरी दुनिया के लिए बुरी खबर आई है। अतंरिक्ष एजेंसियां जब चांद पर उतरने के लिए साइट तय करती हैं तो कई बातों का ध्यान रखना होता है। अब भूवैज्ञानिकों को चंद्रमा पर भूकंप और भूस्खलन को भी ध्यान में रखना होगा।

moonquakes | Sach Bedhadak

वाशिंगटन। चांद से पूरी दुनिया के लिए बुरी खबर आई है। अतंरिक्ष एजेंसियां जब चांद पर उतरने के लिए साइट तय करती हैं तो कई बातों का ध्यान रखना होता है। अब भूवैज्ञानिकों को चंद्रमा पर भूकंप और भूस्खलन को भी ध्यान में रखना होगा। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र की जांच करने वाले शोधकर्ताओं ने फॉल्ट लाइंस की पहचान की है, जिनके खिसकने से करीब 50 साल पहले एक बड़ा चंद्रमा भूकंप आया था। जहां नासा के मिशन आर्टेमिस-3 की 2026 में लैंडिंग होनी है। यहीं पर नासा इंसानी बस्ती बसाने की योजना बना रहा है, ऐसे में उसके सपने को भी झटका लग सकता है।

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चंद्रमा की जमीन धरती से अलग

चंद्रमा के सिकुड़ने की एक वजह ये भी है कि चांद की सतह पृथ्वी की तुलना में कम कसी हुई है, इसमें अक्सर ढीले कण होते हैं, जिन्हें ऊपर फेंका जा सकता है और प्रभाव से इधर-उधर बिखेरा जा सकता है। इसके नतीजा ये होता है कि धरती के भूकंप की तुलना में चंद्रमा के भूकंप से भूस्खलन होने की संभावना ज्यादा होती है। शोधकर्ताओं के अनुसार चंद्रमा पर बस्ती बसाने की संभावना के लिए एेसी योजना बनानी होगी कि वहां जमीन उतनी स्थिर है कि नहीं, जितनी उम्मीद की जा रही है।

पूरी तैयारी जरूरी

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को लेकर ये नए शोध सामने आए हैं, जो नासा के आर्टेमिस मिशनों के लिए संभावित लैंडिंग साइट है। जैसे-जैसे क्रू आर्टेमिस मिशन की लॉन्च तिथि के करीब पहुंच रहे हैं। अंतरिक्ष यात्रियों और बुनियादी ढांचे को यथासंभव सुरक्षित रखना महत्वपूर्ण हो जाता है। शोधकर्ता निकोलस श्मेर ने कहा है कि हम चंद्रमा पर इंसान को भेजने का इंतजार कर रहे हैं। ऐसी इंजीनियरिंग संरचनाएं बनाना जरूरी है जो चंद्रमा की भूकंपीय गतिविधि को बेहतर ढंग से झेल सकें और खतरनाक क्षेत्रों में लोगों की रक्षा कर सकें।

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