जेल में हुई सुनवाई को बताया अवैध, इमरान खान को हाई कोर्ट से झटका

खुफिया डेटा को लीक करने के आरोप (सिफर केस) में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की जेल में हुई सुनवाई को अवैध घोषित कर दिया गया है। इस्लामाबाद हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब जारी कर दिया गया है।

Imran Khan 3 | Sach Bedhadak

इस्लमाबाद। खुफिया डेटा को लीक करने के आरोप (सिफर केस) में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की जेल में हुई सुनवाई को अवैध घोषित कर दिया गया है। इस्लामाबाद हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब जारी कर दिया गया है। खंडपीठ ने आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के न्यायाधीश की नियुक्ति के खिलाफ भी फैसला सुनाया। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उस सुनवाई को अवैध घोषित कर दिया, जिसमें जेल अधिकारियों को इमरान खान को जूडीशियल लॉकअप में रखने का निर्देश दिया गया था।

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अदालत की सिंगल बेंच ने फैसले के खिलाफ खान द्वारा दायर एक इंट्रा-कोर्ट अपील पर सुनवाई करते हुए निर्देश जारी किए, जिसने सिफर मामले में पूर्व प्रधानमंत्री के जेल मुकदमे को मंजूरी दे दी थी। इससे पहले सुबह इस्लामाबाद हाई कोर्ट के दो सदस्यीय पैनल ने फैसला शाम तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। इसी अदालत की सिंगल बेंच ने पहले रावलपिंडी की अदियाला जेल में उनके मुकदमे के खिलाफ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष की अपील को खारिज कर दिया था।

पाक के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की याचिका पर सुनवाई 27 तक स्थगित

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के एक उच्च न्यायालय ने एवेनफील्ड और अल-अजीजिया भ्रष्टाचार मामलों में पूर्वप्रधानमंत्री नवाज शरीफ की दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी अपील पर सुनवाई मंगलवार को 27 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक और जस्टिस मियांगुल हसन औरंगजेब की पीठ ने शरीफ के वकील आजम तरार तथा राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) की कानूनी टीम की दलीलें सुनी।

शरीफ को लंदन में अवैध संपत्ति रखने को लेकर एवेनफील्ड मामले में जुलाई, 2018 में जवाबदेही अदालत ने 10 साल कैद और उनकी बेटी मरियम नवाज को सात साल जेल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बेटी और उनके पति मुहम्मद सफदर को सितंबर, 2022 में बरी कर दिया गया था। नवाज को अल-अजीजिया स्टील मिल्स भ्रष्टाचार मामले में दोषी करार दिया गया था और सात साल जेल की सजा सुनाई गई थी।

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