नासा ने ली राहत की सांस!, सुनी खोए वॉयजर के ‘दिल की धड़कन’

अरबों किलोमीटर दूर स्थित एक पुराने सैटेलाइट से संपर्क कट जाने के बाद अब धरती के वैज्ञानिकों ने राहत की सांस ली है।

nasa voyager 2 spacecraft | Sach Bedhadak

वॉशिंगटन। अरबों किलोमीटर दूर स्थित एक पुराने सैटेलाइट से संपर्क कट जाने के बाद अब धरती के वैज्ञानिकों ने राहत की सांस ली है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने कहा कि मिशन कंट्रोल की ओर से गलती से संपर्क टूट जाने के बाद नासा के वॉयजर-2 प्रोब ने पृथ्वी पर ‘हार्टबीट’ सिग्नल भेजा है। इस सैटेलाइट को 1977 में बाहरी ग्रहों की खोज और व्यापक ब्रह्मांड में इंसानी मौजूदगी के रूप में लॉन्च किया गया था। वर्तमान में यह हमारे ग्रह से 19.9 अरब किमी दूर स्थित है। नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) एक अपडेट में कहा कि 21 जुलाई को वॉयजर 2 को भेजे गए प्लैन्ड कमांड्स की एक सीरीज के कारण ‘अनजाने में एंटीना पृथ्वी से दो डिग्री दूर चला गया।’ इससे यह अपने मिशन कंट्रोल से ड्रेटा ट्रांसमिट या कमांड रिसीव नहीं कर पा रहा था।

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डीप स्पेस नेटवर्क की ली मदद

वॉयजर प्रोजेक्ट मैनेजर सुजैन डोड ने बताया कि संपर्क को फिर से स्थापित करने की आखिरी कोशिशों में टीम ने डीप स्पेस नेटवर्क की मदद ली। वह हैरान रह गई, क्योंकि यह प्रयोग सफल रहा और वैज्ञानिक सैटेलाइट के दिल की धड़कन सुनने में कामयाब रहे। उन्होंने कहा, ‘अब हम जानते हैं कि स्पेसक्राफ्ट जीवित है और ऑपरेट कर रहा है। इससे हमारा उत्साह बढ़ा है।’

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सिग्नल पहुंचता है 18.5 घंटे में

डोड ने कहा, ‘टीम अब अंतरिक्ष यान के एं टीना को पृथ्वी की ओर मोड़ने के लिए एक नया कमांड तैयार कर रही है। हालांकि इसकी संभावना ‘बेहद कम’ है कि यह काम करेगा। फिर भी, 15 अक्टूबर अभी बहुत दूर है, नासा इन कमांड्स को भेजने का प्रयास करता रहेगा। वॉयजर 2 और पृथ्वी के बीच की दूरी को देखते हुए, सिग्नल को सौर मंडल से अंतरिक्ष यान तक एक दिशा में पहुंचने में लगभग 18.5 घंटे लगते हैं।

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