टॉप और कमजोर बच्चों में भेदभाव नहीं…छात्रों के सुसाइड मामले में कमेटी का फैसला, 9वीं के बाद ही कोचिंग प्रवेश

कोटा में बढ़ते कोचिंग छात्र आत्महत्या मामले में गठित राज्य स्तरीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट राजस्थान सरकार को सौंप दी है। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कोटा में सभी कोचिंग के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।

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Committee Issued Guidelines On Student Suicide Case: कोटा में बढ़ते कोचिंग छात्र आत्महत्या मामले में गठित राज्य स्तरीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट राजस्थान सरकार को सौंप दी है। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कोटा में सभी कोचिंग के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। राजस्थान सरकार द्वारा यह गाइडलाइन उच्च शिक्षा सचिव भवानी सिंह देथा की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट के आधार पर जारी की गई है।

रिपोर्ट में आत्महत्या के यह कारण बताएं

  • कड़ी प्रतिस्पर्धा करना
  • पाठ्यक्रम का उच्च स्तर
  • वृषण की अधिकता
  • कोचिंग संस्थानों का व्यस्त कार्यक्रम
  • छुट्टी का अभाव

आर्टिफिशियल तकनीक का उपयोग

अब कमेटी ने इन बिंदुओं को आधार बनाते हुए इसे रोकने के लिए अब संस्थानों में छात्रों की निगरानी के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस के साथ एआई यानी आर्टिफिशियल तकनीक आधारित एफआरटी (फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी) लगानी होगी, क्योंकि इससे फर्जी अटेंडेंस पर रोक लगेगी। कक्षा में छात्र के लिए योग्य होगा। समिति का मानना था कि कई छात्र कोचिंग नहीं जाते हैं और उनकी जगह दूसरे छात्र कोचिंग जाते हैं। साथ ही अब सभी छात्रों को सामान्य पढ़ाई से गुजरना होगा। इसका मतलब यह है कि अब टेस्ट रिजल्ट के आधार पर बैच नहीं बनाए जाएंगे।

नए निर्देश कुछ इस तरह है

  • कोचिंग में बैच अब अल्फाबेट के हिसाब से तय होंगे।
  • टॉपर और कमजोर विद्यार्थियों में भेदभाव नहीं करना
  • विद्यार्थियों को 9वीं के बाद ही कोचिंग में प्रवेश दिया जाएगा।
  • विद्यार्थियों की संख्या के अनुपात में बैठने की व्यवस्था
  • प्रवेश से पहले स्क्रीनिंग टेस्ट आयोजित किया जाएगा, जिसके परिणाम केवल छात्रों को बताए जाएंगे।
  • परीक्षण के आधार पर बैच नहीं बनाये जा सकते
  • छात्रों पर निगरानी रखी जाएगी
  • इसके अलावा समय-समय पर गेटकीपर ट्रेनिंग भी कराई जाएगी।
  • स्टाफ को भी प्रशिक्षित करना होगा
  • शिक्षकों को व्यवहार परिवर्तन का प्रशिक्षण प्रदान करना
  • हर तीन माह में पीटीएम (पैरेंट्स टीचर मीटिंग) का आयोजन किया जाएगा।
  • संस्थानों में काउंसलर भी नियुक्त करने होंगे

छात्रावासों के लिए अलग से गाइडलाइन जारी

जिसके तहत छात्रावासों में क्षमता से अधिक प्रवेश नहीं दिया जाएगा। मेस शुल्क भी आनुपातिक रूप से लेना होगा। छात्रों की बायोमेट्रिक और फिजिकल अटेंडेंस रोजाना लेनी होगी। एंट्री गेट पर लाइव मॉनिटरिंग सिस्टम लगाना होगा। गर्ल्स हॉस्टल में सिर्फ महिला वार्डन की नियुक्ति करनी होगी और इसके अलावा शिकायतों के लिए ई-शिकायत की व्यवस्था करनी होगी।