दादा फ्रीडम फाइटर, चाचा उपराष्ट्रपति और बेटा नेशनल शूटर…हैरान कर देगी मुख्तार अंसारी की कहानी

Mukhtar Ansari Death News: उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद बाहुबली नेता और माफिया मुख्यार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत हो गई है।…

up gangster mukhtar ansari | Sach Bedhadak

Mukhtar Ansari Death News: उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद बाहुबली नेता और माफिया मुख्यार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत हो गई है। उसे उल्टी की शिकायत और बेहोशी की हालत में रात 8:25 बजे जेल से रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था। जहां 9 डॉक्टरों ने उसका इलाज किया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। मुख्तार अंसारी 2005 से सजा काट रहा था। अलग-अलग मामलों में उसे 2 बार उम्रकैद हुई थी। 20 साल पहले साल 2004 में मुख्तार अंसारी का साम्राज्य चरम पर था। वह उन इलाकों में खुली जीप में घूमता था।

वैसे तो मुख्यार अंसारी की छवि यूपी के माफिया के रूप में रही, लेकिन उनके परिवार में देश को प्रतिष्ठित नेता से लेकर देश पर अपनी जान कुर्बान करने वाले सैनिक स्वतंत्रता सेनानी भी हुए हैं।

मुख्तार अंसारी के परिवार का रहा गौरवशाली इतिहास

यूपी के गाजीपुर जिले में जन्में मुख्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी एक स्वतंत्रता सेनानी थे, जो गांधी जी के साथ काम करते थे। साल 1926-27 में वह कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहें। मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान 1947 की लड़ाई के दौरान शहीद हो गए और उन्हें महावीर चक्र से नवाजा गया था। मुख्तार के चाचा देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी थे।

खानदान को विरासत में मिली थी राजनीति

इनके खानदान को राजनीति विरासत में मिली थी, जिसे इनके पिता सुब्हानउल्लाह अंसारी ने आगे बढ़ाया। सुब्हानउल्लाह की छवि एक साफ सुथरे नेता के रूप में रही। मुख्तार अंसारी का बेटा अब्बास अंसारी शॉट गन शूटिंग का इंटरनेशनल खिलाड़ी है। दुनियाभर में कई इंटरनेशनल मेडल जीत चुका अब्बास दुनिया के टॉप टेन शूटरों में शुमार है। अब्बास अंसारी को मनी लांड्रिंग के केस में गिरफ्तार किया गया था।

राजनीति में ऐसे रखा कदम

साल 1996 में मुख्तार अंसारी ने मऊ विधानसभा से चुनाव लड़ा। बसपा के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़कर राजनीति कैरियर की शुरूआत की थी। इसके बाद 2002, 2007, 2012 और 2017 में मुख्तार ने लगातार मऊ से चुनाव जीता। 1985 से मुख्तार के परिवार की सीट रही मोहम्मदाबाद विधानसभा को बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय ने जीत ली थी, लेकिन कृष्णानंद राय अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और 2005 में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई।

1990 के दशक में चलती थी दादागिरी

1990 के दशक में मुख्तार अंसारी ने अपना गैंग बना लिया। उसने कोयला खनन, रेलवे जैसे कामों में 100 करोड़ का कारोबार खड़ा कर लिया। फिर वो गुंडा टैक्स ,जबरन वसूली और अपहरण के धंधे में भी आ गया। उसका सिंडिकेट मऊ, गाजीपुर, बनारस और जौनपुर में एक्टिव था। पूर्वांचल में उस वक्त दो बड़े गैंग थे ब्रजेश सिंह और मुख्तार अंसारी गैंग। दोनों एक दूसरे के दुश्मन हो गए।

इन मामलों में हुई थी सजा

साल 2006 में कृष्णानंद राय की हत्या के एक प्रमुख गवाह शशिकांत की संदिग्ध हालत में मौत हो गई। 2004 में डीएसपी शैलेंद्र सिंह ने मुख्तार अंसारी के ठिकाने से लाइट मशीन गन बरामद की थी। उनके खिलाफ POTA के तहत केस दर्ज किया गया था। 2012 में संगठित गैंग चलाने के चलते अंसारी प मकोका के तहत केस दर्ज किया गया। अप्रैल 2023 में बीजेपी कृष्णानंद राय की हत्या के आरोप में उन्हें 10 साल सजा हुई। 13 मार्च 2024 को एक आर्म्स लाइसेंस केस में अंसारी को उम्रकैद की सजा हुई।