Uttarakhand Tunnel Collapse: 41 मजदूरों को बाहर आने में अभी लगेगा समय…CM धामी ने बौखनाग देवता से की प्रार्थना

Uttarkashi Tunnel Accident: उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिल्क्यारा टनल में 12 दिन से फंसे 41 मजदूरों के जल्द बाहर निकलने की कोशिश अब आखिरी फेज…

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Uttarkashi Tunnel Accident: उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिल्क्यारा टनल में 12 दिन से फंसे 41 मजदूरों के जल्द बाहर निकलने की कोशिश अब आखिरी फेज में है। टनल के एंट्री पॉइंट से अमेरिकी ऑगर मशीन करीब 50 मीटर तक 800 mm (करीब 32 इंच) का पाइप ड्रिल कर चुकी है। अधिकारी अब फूंक-फूंक कर कदम उठा रहे हैं। ड्रिलिंग के दौरान कई बार मशीन में कंपन तेज होने लगी, जिसके चलते मशीन को रोका गया, फिर चेक किया गया। मजदूरों को निकालने के लिए रेक्स्यू लगातार चल रहा है, जिसमें एनडीआरएफ, एसडीआरएफ समेत कई नागरिक सुरक्षा बलों के जवान जुटे हुए हैं। वहीं इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन (आईटीए) के अध्यक्ष प्रो.आर्नोल्ड डिक्स ने सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन की सराहना की है।

सीएम धामी ने मंदिर में हाथ जोड़कर श्रमिकों की कुशलता की प्रार्थना की…

वहीं गुरुवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रेस्क्यू स्थल पर पहुंचे। सीएम धामी ने बौख नाग देवता के मंदिर पर हाथ जोड़कर सभी श्रमिकों की कुशलता के लिए प्रार्थना की। इसके बाद उन्होंने सुरंग में फंसे मजदूरों से बात की। उन्होंने अंदर फंसे श्रमिक गबर सिंह से फोन पर बात कर उनका हौसला बढ़ाया। बताया कि उन्हें पूरी तरह सुरक्षित बाहर लाने के लिए यहां पूरी टीम कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री ने श्रमिकों के स्वास्थ्य का हाल पूछते हुए कहा कि बस अब कुछ देर और अपना हौसला बनए रखें। किसी भी तरह की चिंता न करें।

टनल में ड्रिलिंग 1.8 मीटर के बाद रुकी…

इससे पहले टनल में टेक्निकल एक्सपर्ट के तौर पर काम देख रहे हरपाल सिंह ने बताया कि फिलहाल, गुरुवार दोपहर 1.15 बजे शुरू हुई ड्रिलिंग 1.8 मीटर बाद फिर रोक दी गई। किसी रुकावट के चलते ऐसा हुआ। इसे हटाने के बाद फिर आगे बढ़ेंगे। करीब 12-14 घंटे में हम मजदूरों तक पहुंच जाएंगे। फिर उन्हें NDRF की सहायता से बाहर लाने के लिए 2 से 3 घंटे लगेंगे।

वहीं पीएमओ के पूर्व सलाहकार और उत्तराखंड सरकार में ओएसडी भास्कर खुलबे ने बताया कि अभी 18 मीटर की खुदाई बची है। 6-6 मीटर के 3 पाइप अभी भी डाले जाने बाकी है। एक पाइप डालने में करीब 4 घंटे का समय लगेगा। 18 मीटर की खुदाई के बाद ही रेस्क्यू का काम शुरू होगा। पहले 900 मिमी के 4 पाइप डाले गये थे। बाकी 800 मिमी के पाइप डाले गए।

मजदूरों ने ब्रश किया, कपड़े भी बदले…

इससे पहले बुधवार को सुरंग के भीतर फंसे 41 मजदूरों ने ब्रश किया तो वहीं कपड़े भी बदले। एनएचआईडीसीएल के एमडी महमूद अहमद ने बताया कि मजदूरों के लिए जरूरी खाद्य सामग्री के साथ ही कपड़े और दवाइयां भी भेजी गई। चार और छह इंच के लाइफ पाइप से लगातार मजदूरों को खाद्य सामग्री भेजी जा रही है।

उन्होंने बताया कि बुधवार को उन्हें रोटी, सब्जी, खिचड़ी, दलिया, संतरे और केले भेजे गए। वहीं उन्हें टीशर्ट, अंडर गारमेंट, टूथपेस्ट और ब्रश के साथ ही साबुन भी भेजा गया। मजदूरों ने कपड़े बदले, मुंह हाथ धोया और भोजन किया है। उन्होंने बताया कि टेलीस्कोपिक कैमरे की मदद से सभी मजदूरों को देखा गया है।

कैसे हुआ था सुरंग में हादसा…

बता दें कि ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिल्क्यारा और डंडालगांव के बीच सुरंग बन रही थी। 12 नवंबर को बड़ी दिवाली के दिन सुरंग का एक हिस्सा ढह गया। इससे 41 मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए। इन्हें निकलने के लिए 10 दिन से रेस्क्यू अभियान जारी है, लेकिन अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिली। इस सुरंग की कुल लंबाई 4.5 किलोमीटर है। इसमें सिल्क्यारा के छोर से 2,340 मीटर और डंडालगांव की ओर से 1,750 मीटर तक निर्माण किया गया है। सुरंग के दोनों किनारों के बीच 441 मीटर की दूरी का निर्माण होना था। अधिकारियों ने कहा था कि सुरंग सिल्क्यारा की तरफ से ढही है। सुरंग का जो हिस्सा ढह गया, वह एंट्री गेट से 200 मीटर की दूरी पर था।