राजीव गांधी युवा मित्र कौन हैं जिनके धरने पर पहुंचे सचिन पायलट, भजनलाल सरकार से ये है डिमांड

जयपुर के शहीद स्मारक पर पिछले 8 दिनों से राजीव गांधी युवा मित्रों का धरना चल रहा है.

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Rajiv Gandhi Yuva Mitra Protest: राजस्थान में नई सरकार के गठन को 1 महीना हुआ है कि राजधानी जयपुर दो विरोध प्रदर्शनों की गवाह बन गई जहां गुरुवार को ही 10 दिन से धरने पर बैठे आरएएस परीक्षा अभ्यर्थी उठे हैं लेकिन शहीद स्मारक पर पिछले 8 दिन से चल रहा एक धरना अभी भी जारी है. जी हां, हम बात कर रहे हैं राजीव गांधी युवा मित्रों की जो बीजेपी सरकार द्वारा राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप योजना बंद करने के खिलाफ धरना दे रहे हैं.

वहीं इस धरने में शुक्रवार को पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट पहुंचे और भजनलाल सरकार पर तीखा हमला करते हुए योजना को बंद करने को बेरोजगारों के साथ अन्याय करार दिया.

मालूम हो कि बीते दिनों भजनलाल सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए गहलोत सरकार की इस इंटर्नशिप योजना को बंद कर दिया था. वहीं सरकार के फरमान के बाद युवा मित्र संघर्ष समिति, राजस्थान के बैनर तले प्रदेश के सम्मत राजीव गांधी युवा मित्रों ने अनिश्चितकालीन धरना शहीद स्मारक पर शुरू कर दिया था.

युवा मित्रों को मिला पायलट का साथ

वहीं शुक्रवार को धरने पर पहुंचे सचिन पायलट ने कहा कि 5000 युवाओं से इस तरह रोजगार छीनना जायज नहीं है, मैं और कांग्रेस पार्टी युवाओं के साथ खड़े हैं. पायलट ने कहा कि हम इस मुद्दे को सदन में उठाएंगे ताकि 5000 युवाओं को फिर से रोजगार मिल सके.

उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार को अगर राजीव गांधी के नाम से ही दिक्कत थी तो उन्हें इस योजना का नाम बदल देना चाहिए था लेकिन इस तरह एक आदेश से इन युवाओं का हक मारना सही नहीं है. पायलट ने कहा कि सरकार ने जिस तरह से इन नौकरियों को खत्म किया है उससे लगता है कि बीजेपी की सरकार आने वाले समय में नौकरी देना नहीं बल्कि छीनना चाहती है.

कौन है राजीव गांधी युवा मित्र?

बता दें कि गहलोत सरकार ने 2021-22 वित्तीय वर्ष में इस योजना को शुरू किया था जिसके तहत गहलोत सरकार ने अपनी योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए सरकारी खर्च पर हर जिले में करीब 10 हजार युवाओं को नौकरी पर रखा था. वहीं भजनलाल सरकार ने राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप योजना को 31 दिसंबर 2023 से तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया.

वहीं अर्थशास्त्र और सांख्यिकी विभाग का कहना है कि इस योजना का उद्देश्य सरकार की योजनाओं और सेवाओं के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाना था और यह जानकारी हासिल करना था कि सरकार की योजनाओं का लाभ आखिरी छोर के व्यक्ति तक पहुंच रहा है या नहीं. इस स्कीम के तहत युवाओं को 10 हजार रुपए दिए जाते थे.

‘चाहे योजना का नाम बदल दो’

वहीं धरने पर बैठे आंदोलनकारियों का कहना है कि हमें एक झटके में बेरोजगार कर दिया गया अगर बीजेपी सरकार को कोई आपत्ति है तो वह नाम बदलकर योजना चलाएं. अभी तक सरकार की ओर से किसी ने इन आंदोलनकारियों से बात नहीं की है. उनका कहना है कि अगर सरकार चाहे तो योजना का नाम बदलकर हम बेरोजगारों को एक बार फिर से रोजगार दे सकती है.