Kaman Vidhan Sabha : 70 साल में 8 बार कांग्रेस का कब्जा…2 बार BJP, इस बार त्रिकोणीय मुकाबला?

राजस्थान में एक ऐसी विधानसभा सीट भी है। जिसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता है और मात्र दो बार ही बीजेपी अपना परचम लहरा पाई।

Kaman Vidhan Sabha

Rajasthan Election 2023 : राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी-कांग्रेस सहित कई राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है। लेकिन, राजस्थान में एक ऐसी विधानसभा सीट भी है। जिसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता है और मात्र दो बार ही बीजेपी अपना परचम लहरा पाई। हालांकि, इस बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन की एंट्री से जीत चुनावी गणित गड़बड़ा सकता है। हालांकि, जीत किसकी होगी, ये तो वोटर्स ही तय करेंगे।

दरअसल, हम बात कर रहे है हरियाणा व उत्तरप्रदेश की सीमाओं से सटी राजस्थान के नवनिर्मित डीग जिले की कामां विधानसभा सीट की। जिसे मेवात क्षेत्र की प्रतिष्ठा वाली सीट और कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। वैसे तो 70 साल के इतिहास में इस सीट पर 40 साल तक कांग्रेस का कब्जा रहा है। लेकिन, इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है। क्योंकि चुनावी रण में AIMIM की इंट्री हो चुकी है और कामां विधानसभा से ओवैसी ने तिजारा निवासी इमरान नबाब को प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में मुस्लिम बाहूल्य सीट कामां से मुस्लिम चेहरे को लाने से कांग्रेस के साथ-साथ बीजेपी के राजनीतिक समीकरण भी बदल सकते है।

मजलिस और हुसैन परिवार का वर्चस्व

कामां विधानसभा क्षेत्र में मजलिस और हुसैन परिवार का वर्चस्व रहा है। यहां 10 साल तक विधायक बनने का अवसर तीन ही लोगों को मिला है। साल 1962 में कामां में कांग्रेस प्रत्याशी मजलिस खान विधायक चुने गए। इसके बाद 1967 में वो दोबारा जीतकर विधायक बने। इसके अलावा 1993 और 1998 में कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी तैय्यब हुसैन लगातार दो बार विधायक चुने गए। हुसैन की बेटी जाहिदा खान भी कांग्रेस के टिकट पर साल 2008 में विधायक बनीं और फिर 2018 में भी जाहिदा विधायक चुनीं गई। जाहिदा खान अभी गहलोत सरकार में राज्य मंत्री है।

कुछ ऐसा है कामां का चुनावी इतिहास

पिछले 70 साल के इतिहास में कांग्रेस ने 8 बार कामां विधानसभा सीट पर कब्जा जमाया है। जब पहली बार साल 1952 में विधानसभा चुनाव हुए। तभी भी कांग्रेस ने जीत के साथ आगाज किया था और वर्तमान में भी इस सीट से कांग्रेस का ही विधायक है। पिछले आकड़ों के अनुसार साल 1952 में कांग्रेस के एमडी इब्राहिम, 1957 में आईएनडी के नत्थी सिंह, 1962 और 1967 में कांग्रेस के मजलिश खान, 1972 में बीजेएस के मनोहर लाल, 1977 में जेपी के मो. जहूर, 1980 में जेपी (सीएच) के हाजी चाव खान, 1985 में कांग्रेस के शमशुल हसन, 1990 में निर्दलीय उम्मीदवार मदन मोहन सिंघल, 1993 और 1998 में कांग्रेस के तैय्यब हुसैन, 2003 में भाजपा के मदन मोहन सिंघल, 2008 में जाहिदा खान, 2013 में बीजेपी के कुंवर जगत सिंह और 2018 में कांग्रेस की जाहिदा खान विधायक चुनी गई।

कैसा है जातिगत समीकरण

कांमा विधानसभा क्षेत्र में इस बार कुल वोटर्स की संख्या 2 लाख 59 हजार 602 हैं। जिनमें से 139514 पुरुष और 120088 महिला वोटर्स है। यह मेवाती इलाका है और इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा संख्या मुस्लिमों की है। आंकड़ों की बात करें तो यहां मुस्लिम समुदाय के लोग करीब 60 प्रतिशत है और हिंदू सहित अन्य धर्मों के लोग करीब 40 प्रतिशत है। ऐसे में यदि एक तरफ मुस्लिम वोट पड़े तो मुस्लिम चेहरे का जीतना तय है। यहां से ओवैसी अपनी पार्टी के उम्मीदवार का ऐलान कर चुके है, जो बाहरी क्षेत्र से है। वहीं, कांग्रेस और बीजेपी भी जल्द ही उम्मीदवार का ऐलान करने वाली है। ऐसे में देखना होगा कि इस बार क्या कांग्रेस के गढ़ में बीजेपी या ओवैसी की पार्टी सेंध लगाने में कामयाब हो पाती है या नहीं?

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