‘मेरे भाग्य में सेंट्रल जेल लिखी थी…’ दिव्या मदेरणा ने क्यों कही ये बात? शादी को लेकर भी किया खुलासा

जोधपुर। विधानसभा चुनाव के नामांकन के आखरी दिन कांग्रेस की यंग और फायर ब्रांड नेताओं में शुमार ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा ने सोमवार को नामांकन…

divya maderna gave big statement on her marriage | Sach Bedhadak

जोधपुर। विधानसभा चुनाव के नामांकन के आखरी दिन कांग्रेस की यंग और फायर ब्रांड नेताओं में शुमार ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा ने सोमवार को नामांकन किया। विधायक दिव्या मदरेणा ने रिवायती सीट ओसियां विधानसभा से नामांकन दाखिल किया। दिव्या मदेरणा ने नामांकन से पहले मां का आशीर्वाद लिया।

रातानाड़ा स्थित मंदिर में भगवान शिव, श्री गणेश और देवी की पूजा अर्चना की। सच्चियाय मंदिर में दर्शन भी किया। दिव्या सिमरथा बाबा समाधि स्थल पर भी पहुंची। नामांकन दाखिल करने से पहले दिव्या मदरेणा जोधपुर सेंट्रल जेल के बाहर पहुंची। सेंट्रल जेल के बाहर पहुंच कर दिव्या मदरेणा ने पुष्प अर्पित किए।

दिव्या मदरेणा बोली, मेरे हाथों में शादी की लकीरें नहीं थीं…

दबंग और अपने बेबाक अंदाज के लिए मशहूर दिव्या मदरेणा ने नामांकन भरने के बाद सोमवार को अपनी रैली को संबोधित करते हुए काफी इमोशन दिखाई दी। जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने अपनी शादी को लेकर भी जिक्र किया। उन्होंने कहा- ‘लोग कहते हैं कि शादी कर लो, मैंने कभी जवाब नहीं दिया, लेकिन आज देती हूं। मेरे हाथों में शादी की लकीरें नहीं, सेंट्रल जेल की लकीरें थीं।’

रैली के दौरान दिव्या ने कहा कि मुझ पर निम्न से निम्न स्तर के वार किए गए। सोचिए अगर पिता जेल की सलाखों में हो तो बेटी शादी कैसे कर ले। उनकी एक-एक रात जेल में कैसे गुजरी होगी, ऐसे में बेटी को शादी करना शोभा नहीं देता है। मेरे भाग्य की लकीरों में सेंट्रल जेल थी। मैंने 10 साल वहां के फेरे किए हैं। पिता की सेवा करना ही मेरा कर्तव्य था। संबोधन के दौरान दिव्या मदेरणा ने अपने पिता की जेल की स्थिति और उपचार के हालात बताए। इस दौरान वह कई बार भावुक भी हो गईं। उन्होंने कहा कि मेरे पास अब सिर्फ एक ही काम है- ओसियां की जनता की सेवा करना। सभा में जिला प्रमुख और उनकी मां लीला मदेरणा सहित अन्य नेता मौजूद थे।

अपने विरोधियों पर बरसी दिव्या, कहा- शेरनी की तरह लडूंगी चुनाव…

इस दौरान दिव्या मदरेणा ने विरोधियों पर जमकर हमला बोला। साथ ही विक्टिम कार्ड भी खेला। दिव्या मदरेणा ने कहा कि वो शेरनी की तरह चुनाव लड़ेंगी। कुछ लोग कहते हैं कि शेरनी को जंगल में भेज दो, वहां भूख-प्यास मिट जाएगी। शेरनी शेर के साथ ही रहती है। ओसियां विधायक ने कहा कि उन लोगों की इन बातों पर हंसी आती है, लेकिन क्या वो ऐसी बातें अपनी बेटी के साथ कर सकते हैं ? वो न भूखी हैं, न प्यासी हैं, वो तृप्त हैं। ओसियां की जनता के लिए हमेशा काम करती रहूंगी। दिव्या मदेरणा ने अपने कार्यकर्ताओं की टीम से कहा कि मुझे मेरे माता-पिता के बाद सबसे ज्यादा भरोसा आप पर है। मेरा एक-एक कार्यकर्ता कमांडर है। इनके लिए ही मुझे काम करना है।

नामांकन से पहले जेल गईं, पिता को किया याद…

दिव्या मदेरणा सोमवार को नामांकन से पहले जोधपुर सेंट्रल गईं। जेल के मुख्य द्वार पर जाकर अपने पिता को याद करते हुए हाथ जोड़ें। अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर उन्होंने लिखा-मैंने 10 साल अपने जीवन के (एक दशक ) यहां पर सजदे किए है। मेरी राजनीतिक पैदाइश इस दर्द और वेदना से हुई है। क्रूंदन और विरह जो नियति ने मेरे भाग्य में लिखा वही से मेरे राजनीतिक संघर्ष का आगाज हुआ। इस अभिशाप के साथ नियति ने मुझे फोलाद की सलाखों से दोस्ताना कराया और उन सलाखों ने एक बेटी का किसी भी परिस्थिति में ना टूटने वाला हौसला देख वरदान दिया निडरता का…साहस का… शक्ति का… अनवरत चलने का और फोलाद की तरह तटस्थ रहने का। सार्वजनिक जीवन में जिसे यह निडरता मिल जाए वह कर्तव्य पथ पर हमेशा अभिजीत है, क्योंकि मूल्यों की राजनीति ही असली व अंतिम विजय है।