निपाह का चमगादड़ों से क्‍या कनेक्‍शन? जानें-कोरोना से कितना खतरनाक है ये वायरस और कैसे करें बचाव

भारत में कोरोना के बाद निपाह वायरस से दहशत का माहौल है। केरल में निपाह वायरस के 6 मामले सामने आ चुके है।

Nipah Virus

Nipah Virus : नई दिल्ली। भारत में कोरोना के बाद निपाह वायरस से दहशत का माहौल है। केरल में निपाह वायरस के 6 मामले सामने आ चुके है। जिनमें से दो मरीजों की मौत हो चुकी है। ऐसे में केरल के कई जिलों में लॉकडाउन जैसे हालात देखने को मिल रहे है। लेकिन, क्या आपको पता है कि यह वायरस कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक है। क्योंकि आज कोरोना से बचाव के लिए दवा भी है और वैक्सीन भी। लेकिन, निपाह वायरस से बचाव के लिए ना कोई दवा है और ना ही कोई वैक्सीन। ऐसे में यह तो साफ है कि बचाव ही इस वायरस का उपचार है।

निपाह वायरस मुख्य तौर पर फ्रूट बट से फैलता है, इन्हें मेगा बट भी कहते हैं। यह मुख्य रूप से जानवरों में फैलने वाली बीमारी है जो इंसानों को भी शिकार बनाती है। पहली बार निपाह वायरस की पहचान साल 1998-99 में हुई थी। मलेशिया और सिंगापुर में सुअर पालकों यह वायरस मिला था। इसके बाद साल 2001 भारत और बांग्लादेश में भी इस वायरस के मामले सामने आए थे। हालांकि, काफी सालों बाद भारत में एक बार फिर निपाह वायरस ने दस्तक दे दी है।

कैसे फैलता है ये वायरस

फ्रूट बैट चमगादड़ के टेरोपोडिडे परिवार से संबंध रखते हैं। चमगादड़ फल-फूल खाकर ही अपनी भूख मिटाते हैं। ऐसे में चमगादड़ फल-फूलों का सेवन करते वक्त फल पर ही अपनी लार के साथ वायरस छोड़ देते हैं और इंसानों के संपर्क में आते ही यह वायरस उन्हें अपना शिकार बना लेता है। विशेषज्ञों की मानें तो ये वायरस चमगादड़ के शरीर में ही होता है।

निपाह के लक्षण और बचाव के उपाय

निपाह वायरस के लक्षण संक्रमित इंसान में 5 से 14 दिन के अंदर दिखने लगते है। सिर में दर्द, बुखार सहित संक्रमित को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। इसके अलावा थकान और मानसिक परेशानी भी होती है। ये वायरस इतना खतरनाक है कि मरीज कोमा में भी जा सकता है।

इस बीमारी से बचाव के लिए अब तक कोई दवाई नहीं बनी है। हालांकि, बचाव ही इस वायरस से बचाव का उपाय है। जैसे पक्षियों व जानवरों के चखे फल खाने से बचें। चमगादड़ सहित अन्य पक्षियों से भी दूरी बनाए रखे। जहां पर ज्यादा चमगादड़ रहती है, ऐसे इलाकों में बनी ताड़ी का सेवन करने से बचें। इसके अलावा निपाह संक्रमित व्यक्ति से भी दूरी बनाकर रखें और पीपीई किट पहनकर ही अस्पताल में जाएं। साथ ही बार-बार हाथ धोने के साथ ही हाथों व मुंह पर डबल मास्क पहने।

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