तीन घेरों में रहती है संसद की सुरक्षा, संसद भवन की सुरक्षा में कैसे हुई चूक? जानिए

संसद की सुरक्षा में बड़ी चूक का मामला सामने आया है। लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दो युवक सदन में घुस आए, ये दोनों शख्स दर्शक दीर्घा से कूद गए थे। उन्हें सांसदों ने पकड़ लिया और सुरक्षाकर्मियों को सौंप दिया।

Rajasthan Police 2023 12 13T151121.581 | Sach Bedhadak

Delhi News: संसद की सुरक्षा में बड़ी चूक का मामला सामने आया है। लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दो युवक सदन में घुस आए, ये दोनों शख्स दर्शक दीर्घा से कूद गए थे। उन्हें सांसदों ने पकड़ लिया और सुरक्षाकर्मियों को सौंप दिया। संसद हमले की वर्षगांठ के दिन हुए इस घटनाक्रम ने एक बार फिर संसद की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिय है। आखिरी संसद भवन में इस तरह से दो लोगों का घूस जाना बड़े सवाल खड़े कर रहा है। आइए अब आपको बताते हैं कि संसद भवन की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है और इसमें कितनी परतें होती हैं।

तीन घेरों में रहती है संसद की सुरक्षा

फिलहाल संसद की सुरक्षा तीन लेयर में है। इसमें बाहरी सुरक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस की होती है। यानी अगर कोई संसद भवन में जाता है या कोई जबरदस्ती संसद भवन में घुसने की कोशिश करता है तो सबसे पहले उसे दिल्ली पुलिस का सामना करना पड़ेगा। इसके बाद दूसरी परत है पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप और तीसरी परत संसदीय सुरक्षा सेवा की होती है। संसदीय सुरक्षा सेवा राज्यसभा और लोकसभा के लिए अलग-अलग है।

संसद सुरक्षा सेवा कैसे काम करती है?

राज्यसभा और लोकसभा दोनों की अपनी निजी संसद सुरक्षा सेवा है। संसद सुरक्षा सेवा वर्ष 2009 में अस्तित्व में आई, पहले इसे वॉच एंड वार्ड के नाम से जाना जाता था। इस सुरक्षा सेवा का काम संसद तक पहुंच को नियंत्रित करना और अध्यक्ष, सभापति, उपसभापति और सांसदों को सुरक्षा प्रदान करना है।

वहीं, संसद सुरक्षा सेवा का काम आम लोगों और पत्रकारों के साथ-साथ माननीय या संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के बीच भी भीड़ को नियंत्रित करना है। इसके अलावा इनका काम संसद में प्रवेश करने वाले सांसदों की सही पहचान करना भी है। उनके सामान की तलाशी लेना और सभापति, राज्यसभा सभापति और उपसभापति, राष्ट्रपति आदि के सुरक्षा विवरण के साथ संपर्क करना।

यह Y, Z, Z प्लस सुरक्षा से कितनी अलग है?

आपने वीआईपी और मंत्रियों को मिलने वाली सुरक्षा से जुड़े वाई, जेड और जेड प्लस जैसे शब्द तो खूब सुने होंगे। दरअसल, ये सुरक्षा की श्रेणियां हैं। ये उन्हें वीआईपी के हिसाब से दिए जाते हैं। जैसे गृह मंत्री या प्रधानमंत्री को जेड प्लस सुरक्षा मिलती है। इसी तरह अलग-अलग वीआईपी लोगों को अलग-अलग कैटेगरी की सुरक्षा मिलती है।

सीधे शब्दों में कहें तो यह सुरक्षा किसी व्यक्ति विशेष के लिए होती है। जबकि, ऊपर उल्लिखित सुरक्षा सेवाएँ किसी भवन की सुरक्षा के लिए तैनात की जाती हैं। वहीं, जिन मंत्रियों के पास वाई, जेड या जेड प्लस सुरक्षा है, उन्हें भी संसद में प्रवेश करते समय अपने सुरक्षा गार्ड को बाहर छोड़ना पड़ता है।