देश की आंखे नम…6 साल का बेटा, ढाई साल की बेटी छोड़ गए कर्नल मनप्रीत, आतंकी बुरहान के बने थे काल

Colonel Manpreet Singh : नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में अनंतनाग जिले के कोकेरनाग क्षेत्र में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए 19 राष्ट्रीय राइफल्स…

Colonel Manpreet Singh

Colonel Manpreet Singh : नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में अनंतनाग जिले के कोकेरनाग क्षेत्र में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह की कहानी सुनकर आपकी आंखें नम हो जाएंगी। कर्नल मनप्रीत का बेटा 6 साल का है। वहीं, उनके एक बेटी भी है, ढाई साल की की। लेकिन, अब दोनों के सिर से पिता का साया छिन गया है। कर्नल मनप्रीत सिंह (41) की शहादत की खबर से उनके पैतृक गांव भड़ौंजिया सहित पूरे पंजाब में मातम छाया हुआ है। उनकी पार्थिव देह को आज शाम मोहाली लाया जाएगा। अब तक उनकी पत्नी को इस बारे में नहीं बताया गया है।

कर्नल मनप्रीत सिंह के भाई संदीप सिंह ने बताया कि साल 2003 में सीडीएस की परीक्षा पास करके ट्रेनिंग के बाद भैया साल 2005 में लेफ्टिनेंट बने थे। लेकिन, कभी ऐसा नहीं हुआ कि उन्होंने हमारा फोन नहीं उठाया हो। लेकिन, इस बार फोन नहीं उठाया और कुछ देर बाद ही बुरी खबर हमें मिली। इतना कहते ही उनकी आंखों में आंसू झलक पड़े।

उन्होंने कहा कि 6 दिन पहले ही भैया से फोन पर बात हुई थी। तब उन्होंने कहा था कि बुक बाइंडिंग का कुछ काम करवाना है। लेकिन, बुधवार को जब फोन किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। जबकि भैया हर बार फोन अडेंटड करते थे और बिजी होते थे तो कह देते थे कि बाद में बात करता हूं। लेकिन, इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। इसके कुछ देर बाद ही उनकी शहादत की खबर हमें मिली।

भैया कहते थे… उन्हें नहीं पता क्या होता है डर

कर्नल मनप्रीत सिंह के भाई संदीप सिंह ने बताया कि भैया अपने परिवार से बहुत प्यार करते थे। उनका पूरा परिवार मोहाली में रहता है, लेकिन भाभी जगमीत ग्रेवाल टीचर हैं। उनकी पोस्टिंग मोरनी के सरकारी स्कूल में है। इसलिए वो बेटे कबीर सिंह व बेटी वाणी के साथ पंचकूला में अपने मायके में रहती है। भैया कहते थे कि उन्हें नहीं मालूम कि डर क्या होता है, मौत को पीछे छोड़कर भारत माता की सेवा करना ही उनका प्रमुख लक्ष्य था।

कर्नल की बहादुरी के चर्चे…आतंकी खाते थे खौफ

कर्नल मनप्रीत की बहादुरी के चर्चे मोहाली, कश्मीर ही नहीं देशभर में चर्चा में है। कर्नल मनप्रीत पिछले चार साल से अनंतनाग में पोस्टेड थे और 19 राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) बटालियन की कमान संभाल रहे थे। कर्नल के नाम से भी आतंकी खौफ खाते थे। क्योंकि कई सैन्य ऑपरेशनों में वो दर्जनों आतंकियों को मौत के घाट उतार चुके थे। उनकी बहादुरी के लिए साल 2021 में उन्हें गैलेंट्री सेना मेडल भी मिला था। वो कश्मीरी युवाओं के साथ-साथ बुजुर्गों में भी काफी लोकप्रितय थे। कर्नल सिंह के कारण ही एक हजार से अधिक युवाओं को नई जिदंगी और जिदंगी की नई राह में चलने की सीख मिली थी। कुछ दिनों पहले उन्होंने कश्मीरी युवाओं के लिए क्रिकेट का टूनामेंट भी कराया था। ऐसे में वो कश्मीरी युवाओं के चहेते बन गए थे।

तीन पीढ़ियां कर चुकी हैं देश की सेवा

कर्नल मनप्रीत सिंह अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी थी, जो सरहद पर देश की सेवा कर रही थी। कर्नल मनप्रीत के दादा शीतल सिंह, पिता स्व. लखमीर सिंह और चाचा रणजीत सिंह भी भारतीय सेना में थे। मनप्रीत के पिता लखमीर सिंह 12 सिख लाइट इन्फेंट्री से बतौर हवलदार रिटायर्ड हुए थे। इसके बाद उनके पिता ने पंजाब यूनिवर्सिटी में सुरक्षा सुपरवाइजर की नौकरी की थी। लेकिन, साल 2014 में पिता की ब्रेन हैम्रेज से मौत होने के बाद उनकी जगह छोटे बेटे संदीप सिंह को अनुकंपा पर असिस्टेंट क्लर्क की नौकरी मिल गई थी।

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