वाह ही रेलवे! एक चूहा 41 हजार में पकड़ा…3 साल में खर्च किए 69 लाख रुपए

नई दिल्ली। भारत में आए दिन करोड़ों लोग ट्रेन से सफर करते है। ट्रेन में सफर के दौरान अक्सर प्लेटफार्मों और रेलवे स्टेशनों पर मोटे-मोटे…

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नई दिल्ली। भारत में आए दिन करोड़ों लोग ट्रेन से सफर करते है। ट्रेन में सफर के दौरान अक्सर प्लेटफार्मों और रेलवे स्टेशनों पर मोटे-मोटे चूहे दिखाई देते हैं। इन खूंखार चूहों से लोग ही नहीं रेलवे प्रशासन भी परेशान है। रेलवे ने इन चूहों को पकड़ने के लिए 3 साल में 69 लाख रुपए खर्च कर दिए हैं।

जी हां, आप शायद इस बात पर यकीन ना करें लेकिन ये सच है। एक आरटीआई के जवाब से इसका खुलासा हुआ है कि उत्तर रेलवे के लखनऊ डिवीजन ने साल 2020-2022 के दौरान ये पैसा खर्च किया। आरटीआई में सामने आया है कि रेलवे ने एक चूहा पकड़ने के लिए करीब 41,000 रुपए खर्च कर दिए है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मध्यप्रदेश के नीमच निवासी चंद्रशेखर गौड़ ने उत्तर रेलवे के लिए एक आरटीआई आवेदन किया था। आरटीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि चूहों को पकड़ने के लिए हर साल औसतन करीब 23.2 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। चूहों को कौन पकड़ता है? इस सवाल पर लखनऊ डिवीजन ने जवाब दिया है कि एक अनुबंध-आधारित प्रणाली लागू है और लखनऊ के गोमती नगर में केंद्रीय भंडारण निगम को यह काम सौंपा गया है।

RTI में हुए खुलासे के मुताबिक, उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल ने तीन साल में 69.5 लाख की बड़ी रकम खर्च करके सिर्फ 168 चूहों को ही पकड़ा है। यानी हर साल लखनऊ मंडल ने चूहों को पकड़ने पर 23.2 लाख रुपए खर्च किए। आंकड़ों के मुताबिक, यानी एक चूहे को पकड़ने में 41 हजार रुपए खर्च किए हैं। जिसको लेकर तमाम चर्चाएं हो रही हैं।

RTI में हुए खुलासे के मुताबिक, चूहा पकड़ने का ठेका सेंट्रल वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन को दिया गया था। जिसके बाद कंपनी ने चूहों को पकड़ने का अभियान चलाया। तीन साल के करीब 1095 दिन में अधिकारियों ने 168 चूहे पकड़े। यानी ठेका कंपनी ने एक चूहा पकड़ने में करीब साढ़े छह दिन का समय लिया।

एक चूहा पकड़ने के लिए खर्च किए 41 हजार रुपए…

रेलवे ने एक चूहे को पकड़ने के लिए पैसा पानी की तरह बर्बाद किया। रेलवे ने एक चूहे को पकड़ने के लिए करीब 41 हजार रुपए बर्बाद कर दिए। मतलब रेलवे के हर साल चूहे को पकड़ने वाले अभियान में करीब 23.16 लाख रुपए का खर्च आया। रेलवे का चूहे पकड़ने का यह अभियान लगातार तीन साल तक चला। इस अभियान में 69.48 लाख रुपए का खर्च आया।

आखिरी के दो साल में हर चूहे पर 50 हजार खर्च…

चूहे पकड़ने का यह अभियान साल 2020 में शुरू हुआ। रेलवे अधिकारियों ने पहले साल 83 चूहे पकड़े। यानी 4 दिन में एक चूहा पकड़ा। वहीं साल 2021 में 45 चूहे ही पकड़े। उसके लिए एक चूहे को पकड़ने का खर्च 51 हजार रुपए का आया। वहीं साल 2022 में 40 चूहे पकड़े गए और इसका कुल खर्चा करीब 58 हजार रुपए का आया।

जब यह मामला उजागर हुआ तो हड़कंप मच गया है। सोशल मीडिया से लेकर हर जगह इस भ्रष्टाचार में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की जा रही है। वहीं रेलवे अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।