राम मंदिर का न्योता ठुकराने पर कांग्रेस में घमासान, कई नेताओं ने उठाए सवाल तो कई ने आलाकमान के फैसले पर बताया सही

अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस शामिल नहीं होगी। लेकिन, राम मंदिर का न्योता ठुकराने पर अब कांग्रेस में ही घमासान मचा हुआ है।

image 2024 01 11T101201.946 | Sach Bedhadak

Ram Mandir inauguration : नई दिल्ली। अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस शामिल नहीं होगी। लेकिन, राम मंदिर का न्योता ठुकराने पर अब कांग्रेस में ही घमासान मचा हुआ है। कई कांग्रेसी नेताओं ने आलाकमान के फैसले पर सवाल खड़े कर दिए है। साथ ही अपनी ही पार्टी को राजनीतिक निर्णय लेने से बचने की नसीहत तक दे डाली है।

बता दें कि पिछले महीने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा का निमंत्रण मिला था। लेकिन, बुधवार को कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होगी। इस फैसले के बाद कांग्रेस में विरोध में सुर उठने शुरू हो गए है।

इन नेताओं ने आलाकमान के फैसले को बताया गलत

गुजरात में कांग्रेस के वर्किंग अध्यक्ष अंबरीश डेर ने एक्स पर पोस्ट किया कि मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम हमारे आराध्य देव हैं, इसलिए यह स्वभाविक है कि भारत में अनगिनत लोगों की आस्था इस नवनिर्मित मंदिर से वर्षों से जुड़ी हुई है। कांग्रेस के कुछ लोगों को उस खास तरह के बयान से दूरी बनाए रखनी चाहिए और जनभावना का दिल से सम्मान करना चाहिए। इस तरह के बयान से मेरे जैसे गुजरात कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं के लिए निराशाजनक हैं।

वहीं, गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पोरबंदर विधायक अर्जुन मोढवाडिया ने कहा कि भगवान श्री राम आराध्य देव हैं। यह देशवासियों की आस्था और विश्वास का विषय है। कांग्रेस को ऐसे राजनीतिक निर्णय लेने से दूर रहना चाहिए था।

आलाकमान का फैसला बेहद दुखद

कांग्रेस द्वारा राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण को अस्वीकार करने पर यूपी में कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि राम मंदिर और भगवान राम सबके हैं। कांग्रेस हिंदू विरोधी पार्टी नहीं है, कांग्रेस राम विरोधी नहीं है। यह कुछ लोग हैं जिन्होंने इस तरह का फैसला कराने में भूमिका अदा की है। इस फैसले से पार्टी के कई कार्यकर्ताओं का दिल टूटा है। निमंत्रण को स्वीकार ना करना बेहद दुखद और पीड़ादायक है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे और मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा है कि वो 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे और छिंदवाड़ा से सांसद नकुलनाथ ने कहा कि छिंदवाड़ा 4 करोड़ 31 लाख राम नाम लिखकर इतिहास रचने जा रहा है।

इन नेताओं ने आलाकमान के फैसले का बताया सही

इधर, राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह, कांग्रेस नेता उदित राज और केसी वेणुगोपाल ने आलकमान के फैसले को सही बताया है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि राम मंदिर हमारे जैसे लोगों के चंदे पर बन रहा है. हम सब लोगों ने चंदा दिया है। हमें इस बात पर आपत्ति है कि शंकराचार्य को अपमानित किया जा रहा है। राम मंदिर पर वीएचपी का क्या अधिकार है? चंपत राय विहिप के प्रचारक हैं, जिन्होंने जमीन घोटाला किया है. ऐसे व्यक्ति को राम मंदिर प्रमुख बनाया गया है, जो धर्म का अपमान कर रहा है। बीजेपी, संघ और विहिप आज अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति चला रही है। वहीं, कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा कि यह आरएसएस-वीएचपी का प्रोग्राम है। बीजेपी राजनीतिक फायदा लेने की कोशिश कर रही है। इसके अलावा कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि बीजेपी इसे चुनाव प्रचार का जरिया बना रहे हैं।