चंद्रयान-3 के लिए आसान नहीं आगे की राह… दहशत के 15 मिनट अहम, जानें क्या है पूरी कहानी

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने एक और प्रयास के द्वारा फिर चंद्रयान-3 मिशन के साथ चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने का प्रयास कर रहा है। इसरो ने चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को दोपहर 2.35 बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया। 23 अगस्त बुधवार को शाम 6 बजे चंद्रमा पर लैंड करने की संभावना है।

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जयपुर। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने एक और प्रयास के द्वारा फिर चंद्रयान-3 मिशन के साथ चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने का प्रयास कर रहा है। इसरो ने चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को दोपहर 2.35 बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया। 23 अगस्त बुधवार को शाम 6 बजे के करीब चंद्रमा पर लैंड करने की संभावना है।

इससे पहले भारत का चंद्रयान-2 लैंडिंग के दौरान ही क्रैश हो गया था। ऐसे में अब पूरी दुनिया की नजर चंद्रयान-3 की सुरक्षित लैंडिंग पर टिकी है। आखिर चांद पर लैंडिंग करना इतना मुश्किल क्यों है। आइए जानते है…

उड़ान के दौरान बनी रहती है समस्या

चंद्रमा की पृथ्वी से लगभग दूरी 3,84,400 कि.मी. है और अंतरिक्ष यान द्वारा जाने वाले रास्ते के आधार पर यह कम ज्यादा होती रहती है। रास्ते में कही भी यान के असफल होने का खतरा बना रहता है।

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चंद्रमा का वातावरण लैंडिंग के लिए खतरा

चंद्रमा पर पृथ्वी के मुकाबले वातावरण 8 गुना से ज्यादा पतला है। ऐसे में पैराशूट के जरिए भी किसी अंतरिक्ष यान को यहां पर उतारा आसान नहीं है।

ईंधन की होती है ज्यादा खपत

चंद्रमा की सतह पर पहुंचने के साथ ही यहां पर अंतरिक्ष यान की लैंडिंग तक उतरने के लिए बड़ी मात्रा में ईंधन की जरूरत पड़ती है। लैंडिंग के दौरान विपरीत दिशा में बल लगाकर अंतरिक्ष यान को नीचे उतरने की गति को धीमा करता हैं। लेकिन, इसकी खपत के अनुसार इतना ईंधन लेकर जाना खतरनाक भी हो सकता है।

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सेंसर्स को चंद्रमा की धूल से होता है खतरा

चंद्रमा पर लैंडिंग के अंतिम कुछ किलोमीटर पहले का समय लैंडिंग से ज्यादा खतरनाक होता हैं। इसके कारण अंतरिक्षयान के थ्रस्ट से निकलने वाली गैसों के कारण चंद्रमा की सतह से काफी बड़ी मात्रा में धूल उड़ती है, जो ऑनबोर्ड कंप्यूटर और सेंसर्स को नुकसान पहुंचाती है।

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चंद्रमा की उबड़-खाबड़ सतह बड़ी समस्या

चंद्रमा की सतह उबड़-खाबड़ है और गड्ढों तथा पत्थरों से भरी हुई है। ऐसे में अंतरिक्ष यान के लिए कोई भी लैंडिंग मिशन आसान नहीं रहता है। कई बार यान की लैंडिंग विनाशकारी भी साबित हो सकती है।

चीन ने पहले प्रयास में बनाया था लैंडिंग का रिकॉर्ड

चीन दुनिया का एक मात्र देश है जिसने पहले ही प्रयास में चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की। चीन ने 2013 में चांग-5 मिशन को पहले प्रयास में चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित रुप से उतारा था।

इजरायल और जापान भी हो चुके हैं नाकाम

2019 की शुरुआत में इजरायल का बेरेशीट मिशन का भी चंद्रयान-2 जैसा ही हाल हुआ था। इस साल जापान का हकुतो-आर मिशन भी चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में विफल रहा था।

फेल हो गया था भारत का चंद्रयान-2 मिशन

चंद्रयान-2 मिशन सितंबर 2019 में तब फेल हो गया ता जब विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हालांकि, इसका ऑर्बिटर आज भी चंद्रमा की परिक्रमा कर भारत को महत्वपूर्ण जानकारियां देने का काम कर रहा है।

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